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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

तो भी कोई हर्ज नहीं। आप आसानीसे आ सकें तो ठीक ही है। लेकिन आप अपने कामका हर्ज करके आयें, यह अभीष्ट नहीं।

मोहनदास गांधी वन्देमातरम्

श्री मं० शाणाभाई पंचाल

मठचारी पोल,
लुणसावाडो

अहमदाबाद

गुजराती पत्र (एस० एन० १९८६५) की माइक्रोफिल्मसे।

१२९. पत्र : अयोध्याप्रसादको

आश्रम
१४ मार्च, १९२६

भाई अयोध्याप्रसादजी,

आपका पत्र मिला। अनाजका दाम सस्ता होनेसे या महंगा होनेसे किसानोंको लाभ होता है इस प्रश्नकी झंझटमें मैं इस समय पड़ना नहीं चाहता। परंतु चरखाको इस प्रश्नके साथ थोड़ा संबंध है। चरखाकी प्रगतिसे हिंदुस्तानका सबसे बड़ा उद्योगका पुनरुद्धार होता है, और वह भी गरीब किसानोंके ही मारफतसे। इसलिये किसानोंको हर हालत में चरखा प्रवृत्तिसे लाभ ही होता है। यदि यह बात सही है कि किसान लोग कमसे कम चार महीनेतक कुछ भी काम नहीं करते हैं तो जिस प्रवृत्तिसे उन लोगों को इतना उद्यम मिले वह प्रवृत्ति उनके...[१] वृद्धि करती है। इस दृष्टिसे चरखा प्रवृत्तिको देखनेसे हमें मालूम होता है कि खद्दर केवल...[२]का ही प्रश्न नहीं, परंतु किसानोंके घरमें...[३] नया उद्यमका प्रवेश करानेका प्रश्न है।

आपका,

मध्य भारत सेवा संघ,
झांसी (यू० पी०),

मूल प्रति (एस० एन० १९८६४) की माइक्रोफिल्मसे।

 
  1. १ से ३. मूलमें यहाँ कटा-फटा है।
  2. १ से ३. मूलमें यहाँ कटा-फटा है।
  3. १ से ३. मूलमें यहाँ कटा-फटा है।