पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 30.pdf/१५२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

११७. अपील: भारतीय कला और शिल्पके लिए

साबरमती
१२ मार्च, १९२६

गुजरात विद्यापीठके अधीन एक ऐसा स्कूल भी है, जहाँ भारतीय कलाओंकी शिक्षा दी जाती है। अबतक यह स्कूल छोटे पैमानेपर ही चलाया जाता रहा है। लेकिन, अब इसका विस्तार करनेका इरादा है। इस प्रयोजनसे इसमें एक चित्र दीर्घा (पिक्चर गैलरी) तथा भारतीय कलाओं और शिल्पोंका एक संग्रहालय जोड़नेका विचार किया गया है। इस कार्यको व्यवस्थाका भार प्रोफेसर मलकानीके[१] सिर है। भारतीय कलाओं और शिल्पोंसे प्रेम रखनेवाले लोग इस काममें जो भी सहायता देंगे, उसके लिए विद्यापीठ उनका आभारी होगा।

मो० क० गांधी

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९३६०) की माइक्रोफिल्मसे।

११८. पत्र : दीपक चौधरीको

साबरमती आश्रम
१२ मार्च, १९२६

चि० दीपक,

तुमारा खत मीला है मेरा स्वास्थ्य अब तो अच्छा है तुमारे अक्षर अब तो बहोत अच्छे हैं और भाषा भी अछी है। आजकल आश्रममें बहोत भीड रहती है।

तुमारा दील लश्करी तालीम लेना चाहता है तो मैं कैसे रोक सकता हूं। माताजीकी आज्ञ अनुसार चलना। मेरी राय इस बारेमें उनकी रायसे भिन्न है। इस लीये में तुमारी बुद्धिका भ्रंश करना नहीं चाहता हूं। मैं तो तुमारा कल्याण इच्छकर शांत [होता हूँ।]

तुम दोनोंका स्वास्थ्य ठीक होगा।

बापुका आशीर्वाद

३ सनी पार्क
बालीगंज, कलकत्ता[२]

मूलपत्र (एस० एन० १९८५९) की माइक्रोफिल्मसे।

  1. एन० आर० मलकानी, जो बादमें राज्यसभाके सदस्य हुए।
  2. साधन-सूत्रमें पता अंग्रेजी में है।