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पत्र: एक ग्राहकको

किसी समय होती रहती हैं, उनका राजनीतिक उथल-पुथलसे कोई वास्ता नहीं है और कांग्रेसियोंका उनमें परोक्ष अथवा प्रत्यक्ष रूपसे कोई हाथ नहीं है तो देशमें भले ही ऐसे हजारों विस्फोट हों, मैं आगे बढ़नेमें नहीं हिचकिचाऊगा।

जहाँतक मेरे स्वास्थ्यका सवाल है, निश्चय ही में कमजोर हूँ, लेकिन आपने यह आशा व्यक्त करके कि मैं शायद अपने किसी भी प्रशंसककी अपेक्षा अपने जीवनका मूल्य अधिक अच्छी तरह जानता हूँ, मुझे पूरा श्रेय दिया है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं अपना स्वास्थ्य बनाये रखने की भरसक कोशिश करूँगा, लेकिन अधिकसे-अधिक सावधान व्यक्तिपर भी वृद्धावस्थाका असर तो होगा ही। मैं समझता हूँ कि कुल मिलाकर मेरा स्वास्थ्य बहुत अच्छा चल रहा है।

हृदयसे आपका,

सरदार शार्दूलसिंह कवीसर

लॉज लिबर्टी

रामगली, लाहौर

अंग्रेजी पत्र (एस० एन० १९३५८) की माइक्रोफिल्मसे।

११६. पत्र: एक ग्राहकको

साबरमती आश्रम
१२ मार्च, १९२६

प्रिय मित्र,

आपका यह सुझाव बिलकुल नया है कि आप 'यंग इंडिया' के चन्देके रूपमें हाथ-कता सूत भेजें। इस सम्बन्धमें कोई नियम नहीं है और 'यंग इंडिया' कार्यालयमें चन्देके एवज में सूत स्वीकार करनेकी कोई व्यवस्था भी नहीं है। लेकिन अगर आप २० नम्बरका ५०,००० गज एक-सार कता और अच्छा बँटा सूत मेरे निजी पतेपर भेज दें तो मैं चन्देके बदले उसको स्वीकार करवानेका प्रबन्ध करूंगा। अर्थात्, सूतको आश्रम ले लेगा और बदलेमें 'यंग इंडिया' कार्यालयको पैसा दे दिया जायेगा। चन्देके रूपमें जो ५०,००० गज सूतका अनुमान लगाया गया है, वह कम नहीं, ज्यादा ही है; लेकिन यह सम्भव भी नहीं है कि सूतका ठीक-ठीक अनुमान लगाकर स्वीकार किया जाये। सूत स्वीकार करनेसे पहले मुझे उसकी जाँच करवानी होगी। यदि आप यह सूत भेजना तय करें, तो कृपया उसे पाँच-पाँच सौ गजकी गुंडियाँ बनाकर भेजें, क्योंकि यदि गिनते या जाँचनेमें कोई कठिनाई हुई तो सूतको चन्देके बदलेमें स्वीकार नहीं किया जायेगा और अगर आप चाहेंगे तो डाकखर्च दे देनेपर उसे आपके पास लौटा देना पड़ेगा।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजो प्रति (एस० एन० १९३५९) की माइक्रोफिल्मसे।