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पत्र: सरोजिनी नायडूको

था, उससे भी ज्यादा साफ देखने में उन्होंने मेरी मदद की। बातको प्रस्तुत करनेको उनकी शैली बिलकुल अनोखी है। साथ ही मैं जानता हूँ कि हमारे बीच मौलिक भेद थे; और यद्यपि वे भेद बने ही रहेंगे, लेकिन उन तमाम चीजोंकी तुलनामें वे कुछ महत्त्व नहीं रखते, जिनके लिए मैं सदैव उनका आभारी रहूँगा। मेरा देश-प्रेम काफी सुस्पष्ट है; भारतके प्रति मेरा प्रेम बराबर बढ़ता ही जा रहा है, लेकिन उस प्रेमका स्रोत मेरा धर्म ही है और इसलिए मेरे देशप्रेममें किसी भी तरह की वर्जनकी भावना नहीं है।

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९३५३) की फोटो-नकलसे।

१०९. पत्र : सरोजिनी नायडूको

साबरमती आश्रम
११ मार्च, १९२६

यह रहा दक्षिण आफ्रिकासे आया एक और तार। पता नहीं आपने या सोराबजीने हाजीके उस पहले तारका उत्तर दिया भी या नहीं, जिसका उल्लेख संलग्न तारमें है यदि कोई जवाब नहीं भेजा गया हो तो कृपया एक सन्तोषजनक उत्तर अब भेज दीजिए।

संलग्न तारका जो जवाब मैंने भेजा है, इस प्रकार है:

"एक हफ्ते पहले दिल्ली समितिको राय भेज दी।"

आपका,

सहपत्र: १

श्रीमती सरोजिनी नायडू

दिल्ली

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९३५४) की फोटो-नकलसे।