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१०५. पत्र : केलप्पनको

११ मार्च, १९२६

आपका पत्र[१] मिला। आपको जिस मददकी जरूरत है, वह दिलानेमें मुझे खुशी होगी। उसके सम्बन्धमें अभी में श्री च० राजगोपालाचारीसे पत्र-व्यवहार कर रहा हूँ। इसलिए आपको बादमें फिर लिखूँगा।

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९३५१) की माइक्रोफिल्मसे।

१०६. पत्र: च० राजगोपालाचारीको

साबरमती आश्रम
११ मार्च, १९२६

प्रिय सी० आर०,

पिछले तारके बादसे आपने अपना कोई समाचार नहीं भेजा है। इस डरसे कि शायद आपका आना न हो सके, मैं केलप्पनसे प्राप्त पत्र साथमें भेज रहा हूँ। आपकी क्या राय है? यदि आपके खयालसे यह मदद दी जानी चाहिए तो आपके पास त्रावणकोर कोषको जो राशि बची हुई है, उसमें से दे दीजिए।

आपने जो अगली किस्त[२] भेजनेका वादा किया था, वह कबतक भेज रहे हैं? इतनी देर मत कीजिए कि पाठक पहली किस्तके विषयमें तबतक सब भूल ही जायें।

आपका,

संलग्न: २

श्रीयुत च० राजगोपालाचारी
गांधी आश्रम

तिरुचेनगोडु

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १९३५१) की फोटो-नकलसे।

 
  1. २ मार्च, १९२६ का। इस पत्रमें केलप्पनने एक मकानको मरम्मतके लिए गांधीजी से ६०० रुपयेकी सहायता माँगी थी।
  2. देखिए "एक नीरस परिसंवाद", १८-३-१९२६ ।