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१९८ सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय कानूनोंका सारांश भूतपूर्वं दक्षिण आफ्रिकी गणराज्य और ऑरेंज फ्री स्टेटके उन कानूनोंका सारांश जो सिर्फ भारतीयोंपर असर करते हैं । दक्षिण आफ्रिकी गणराज्य प्रत्येक भारतीयको ३ पौंड देकर अपनी रजिस्ट्रीका टिकट लेना होगा । जब सरकारी अधिकारी भारतीयों के साथ इस देशके वतनियों जैसा व्यवहार करते थे तब वे उन्हें एक शिलिंगका यात्रा परवाना लेने के लिए मजबूर करते थे । रेलवे के नियम भारतीयोंको पहले या दूसरे दर्जेमें यात्रा करनेसे रोकते हैं । कोई भी भारतीय अपने पास न तो देशी सोना रख सकता है, न सोना निकालनेका परवाना पा सकता है। (इस कानूनके कारण भारतीयोंको किसी कठिनाईका सामना नहीं करना पड़ा, क्योंकि उन्होंने सोनेका सट्टा कभी नहीं किया) । कानून ३, १८८५ सरकारको अधिकार देता है कि वह सफाई के खयालसे भारतीयों के निवासके लिए कुछ पृथक् बस्तियाँ तय कर सकती है । युद्धसे पहले एक बार जोहानिसबर्गके सब भारतीयोंको, नगर के मध्य- भागते पाँच मील दूरकी एक बस्तीमें भेजनेका प्रयत्न किया गया था। यह विचार भी किया गया था कि उनके व्यापारको उसी क्षेत्रमें सीमित कर दिया जाये । प्रिटोरिया के कुछ उपनियम भारतीयोंको प्रिटोरिया में पैदल-पटारियोंपर चलने और सार्वजनिक गादियोंमें बैठनेसे रोकते हैं । - ज्ञातव्य : पूर्ण जानकारीके लिए देखिए, पत्र: ब्रिटिश एजेंटको, २१ जुलाई १८९९ तथा प्रार्थनापत्र : उपनिवेश मंत्रीको, [ १६ ] मई, १८९९ । ऑरेंज फ्री स्टेट १८९० के अध्याय ३३ के अनुसार, कोई भी एशियाई (१) राज्यके अध्यक्षकी अनुमति के बिना दो महीनेसे अधिक समयतक राज्यमें नहीं रह सकता; (२) जमीनका मालिक नहीं हो सकता; और (३) व्यापार या खेती नहीं कर सकता । यदि उपर्युक्त प्रतिबन्धोंके साथ राज्यमें रहने की अनुमति मिल जाती थी तो, अध्याय ७१ के अनुसार, १० शिलिंग वार्षिकका व्यक्ति कर देना पड़ता था । ज्ञातव्य : पुरानी ऑरेंज फ्री स्टेटके एशियाई-विरोधी कानूनोंका पूर्ण पाठ फरवरी २४, १८९६ के सामान्य पत्रमें दिया गया है। छपी हुई मूल अंग्रेजी प्रतिकी फोटो-नकल (एस०एन० ३८१४-५ ) से । १. यह प्रलेख उपलब्ध नहीं है । Gandhi Heritage Heritage Portal