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१८२. पत्र: जमनालाल बजाजको
मंगलवार [९ फरवरी, १९२६][१]
चि० जमनालाल,
तुम्हारा पत्र मिला। मणिबहनके सम्बन्धमें जब तुम यहाँ आओगे तब सब बातें तय करेंगे
मेरा वजन भी थोड़ा तो बढ़ा ही है। इस सप्ताह में और बढ़ने की आशा है। चिन्ता करनेका कोई कारण नहीं है।
तुम्हारे द्वारा भेजे गये सन्तरे मुझे मिल रहे हैं।
बापूके आशीर्वाद
गुजराती पत्र (जी० एन० २८५७) की फोटो-नकलसे।
१८३. तार : नॉर्थ अमेरिकन न्यूज एलाएन्सको[२]
[१० फरवरी, १९२६]
लिखनेका अवकाश न होनेका खेद। मैंने कभी पैसेके लिए नहीं लिखा।
गांधी
अंग्रेजी तार (एस० एन० १२४६३) की फोटो-नकलसे।
१८४. पत्र : कुष्ठाश्रम, पुरुलियाके सुपरिटेंडेंटको
साबरमती आश्रम
१० फरवरी, १९२६
प्रिय मित्र,
जब मैं आपके अस्पतालमें आया था, आपने मुझे एक ऐसे तेलका नाम बताया था जिसकी सुई कोढ़के उपचारमें लगाई जाती है। मैं नहीं जानता कि उस तेलकी
सुई लगाने से सफेद कोढ़में भी लाभ होता है या नहीं। एक मित्रके शरीरमें सफेद