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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
सुख-सुविधाओं के प्रति कोई उपेक्षा हुई है और उन्होंने उसके बारेमें आपसे कुछ कहा है तो आप मुझे सब-कुछ बताने में संकोच न करें।
सस्नेह,
बापू
अंग्रेजी पत्र (एस० एन० १४०८१) की फोटो-नकलसे।
१७३. प्रमाणपत्र : हासानन्दको
साबरमती आश्रम
फाल्गुन शुक्ल ९, १९८२ [८ फरवरी, १९२६
प्रोफेसर हासानन्दने आश्रमवासियोंको अपनी करामतें बताई थीं और साथ-साथ देशहितकी बातें सुनाते थे।
मोहनदास गांधी
मैजीशियन ऑफ मैजीशियन्स
१७४. तार : सोराबजीको[१]
[८ फरवरी, १९२६ या उसके पश्चात्][२]
सोराबजी
सेवॉय होटल
दिल्ली
दोनों विधेयकोंमें रंग-भेद लागू होता है। खान विधेयक प्रभावकी दृष्टिसे उतना बुरा नहीं जितना कि एशियाई विधेयक। दोनोंकी मुखालिफत होनी चाहिए।
गांधी
अंग्रेजी तार (एस० एन० ११९३४) की माइक्रोफिल्मसे।
- ↑ १.यह सोरावजीके ८ फरवरीके तारके उत्तरमें भेजा गया था। उस तारका मजमून यह था: “मेरा निजी खयाल तो यह है कि खान और निर्माण संशोधन विधेयकका पास होना एशियाई-विरोधी विधेयकसे अधिक हानिकर है। इसके द्वारा पहली बार स्थायी रंग-भेदको कानूनन मान्यता मिलती है। इसी सिद्धान्तके लिए आप लड़े थे। क्या मेरे निष्कर्ष ठीक हैं ? कृपया अपनी राथ तार द्वारा सेवॉय होटलके मार्फत भेजें। सस्नेह।”
- ↑ २. ढाककी मुहरसे।