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१६५. पत्र : मणिबहन पटेलको

बुधवार, ३ फरवरी, १९२६

चि० मणि,

देवदास तो यहाँ नहीं है। वह तो अभी देवलालीमें ही है। मेरी तबीयत अब अच्छी है। कमजोरी है सो दूर हो जायेगी। अबतक वहाँ तुम्हारी सारी व्यवस्था अच्छी तरह जम गई होगी। कमला जितनी तरक्की कर सके, उतनी करने दो। चिन्ता तनिक भी न करना। उम्मीद है, तुम्हारी तबीयत अच्छी रहती होगी। घूमने रोज जाना। गंगूबाई जो आश्रम (वर्धा) में है कदाचित् तुम्हारे साथ जायेगी। कमला (बजाज) के विवाहके समय यहाँ आ सको तो आना। मुझे पत्र नियमित रूपसे लिखना।

बापूके आशीर्वाद

[गुजरातीसे]

बापुना पत्रो - ४ : मणिबहेन पटेलने

१६६. शराबबन्दी

मद्रासके स्वराज्यदलने अपने कार्यक्रम में शराबको सम्पूर्णतया बन्द कर देनेका कार्य भी शामिल किया है, इसलिए वह गरीब लोगोंके सभी हितैषियोंकी मुबारक- बादीका पात्र है। यदि हमारी परम शक्तिशालिनी अकर्मण्यता बाधक न होती तो हंमने यह बुराई कभीकी दूर कर दी होती। यह मजदूरी करनेवाले लोगोंकी जीवन- शक्तिकी जड़ें हो खोखली कर रही है और वे अपनेको सुधार न सकनेकी स्थिति- में हैं। फिर भी उनकी मदद की जानी चाहिए। शराबखोरीको अविलम्ब बन्द कर देनेके लिए भारतवर्षके समान कोई दूसरा उपयुक्त देश नहीं है। यहाँ इस विषय में जनताकी राय सदा अनुकूल मार्गपर रही है। यूरोपकी तरह यहाँ समस्त जनताकी सम्मति लेनेकी आवश्यकता नहीं है। इसका कारण सीधा-सादा यह है कि यूरोप- की तरह भारतवर्षमें बुद्धिजीवी समाज शराब नहीं पीता। मद्रासके पादरी श्री डब्ल्यू० एल० फर्ग्युसनने एक पत्रिका प्रकाशित की है। उसमें उन्होंने शराबखोरीको एकदम बन्द कर देने की आवश्यकता सिद्ध की है। उसके कारण पड़नेवाले आर्थिक बोझके सम्बन्धमें उक्त पादरी सज्जन लिखते हैं :[१]

कोई भी देश, कितनाही घनी और खुशहाल क्यों न हो, वास्तव मद्यपान-का बोझ सहन करनेकी क्षमता नहीं रखता। क्योंकि शराबखोरीसे राष्ट्र नाशकी

  1. १. अंशत: उद्धृत।