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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

 

३. हिन्दुस्तानकी नैतिक, आर्थिक और राजनीतिक उन्नतिके लिए आवश्यक उद्योग करनेके निमित्त सेवक तैयार करना;

४. अक्षरज्ञान आदिकी शिक्षा देनेके लिए शालाएँ स्थापित करना और चलाना;

५. तथा लोकोन्नतिके अन्य काम करना, जैसे गोरक्षा, गोवंशमें सुधार आदि।

हम घोषणा करते हैं कि संलग्न अनुसूची 'अ' में बताई गई मिल्कियतका पूर्वोक्त उद्देश्योंके अनुसार प्रबन्ध चलाने के लिए निम्न व्यक्ति न्यासी नियुक्त किये गये हैं:

१. श्री जमनालाल बजाज

२. श्री रेवाशंकर जगजीवन झवेरी

३. श्री महादेव हरिभाई देसाई

४. श्री इमाम साहब अब्दुल कादिर बावजीर

५. श्री छगनलाल खुशालचन्द गांधी

हम घोषणा करते हैं कि पूर्वोक्त परिशिष्ट में बताई गई मिल्कियतके बारेमें उपरोक्त न्यासियोंको निम्नलिखित अधिकार प्राप्त हैं :

१. न्यासके उद्देश्योंको पूर्ण करने के लिए समय-समयपर आवश्यक जान पड़ने- वाले तमाम कार्योंको करना तथा आवश्यक कदम उठाने और उसके अन्तर्गत जैसा उचित जान पड़े न्यासकी मिल्कियतका वैसा प्रबन्ध अथवा उपयोग करना;

२. न्यासके उद्देश्योंको सफल बनानेके लिए न्यासकी मिल्कियतको बेचना अथवा गिरवी रखना;

३. न्यासकी खाली जगहों में बहुमतसे दूसरे न्यासी नियुक्त करना;

४. कमसे कम तीन व्यक्तियोंकी सम्मतिसे कार्य चलाना;

५. न्यासियोंकी संख्या में वृद्धि करनेकी आवश्यकता जान पड़े तो अन्य दो न्यासी बहुमत से बढ़ाना।

अनुसूची 'अ' में बताई गई मिल्कियत पंजीयनके जिले अहमदाबादके दस- करोई ताल्लुकेके गाँवोंकी सीमामें स्थित है। यह पहले, हमारे हाथ बेचनेवालोंके कब्जे- में थी; और यह जबसे पूर्वोक्त संस्थाके लिए हमें बेची गई है तब से हमारे कब्जे में है। इसका ब्यौरा इस प्रकार है :[१]

उपरोक्त घोषणा हमने अपनी खुशीसे सोचसमझकर और पूरे होशहवास में की है। यह हमें तथा हमारे वली वारिसों, पंजीयन करनेवालों और पंजीयन करानेवालों को मंजूर है। ता० २ फरवरी, सन् १९२६।

मोहनदास करमचन्द गांधी

मगनलाल खुशालचन्द गांधी

[गुजरातीसे]

पंजीकृत दस्तावेजको प्रतिसे।
सौजन्य : छगनलाल गांधी
  1. १. इसमें भूमिके १८ टुकड़ोंका ब्यौरा दिया गया है। देखिए परिशिष्ट २।