पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 29.pdf/४५२

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

१६२. पत्र : मोतीबहन चौकसीको

शनिवार, ३० जनवरी, १९२६

चि० मोती,

तुम्हारे पत्र नियमित रूपसे मिलने लगे हैं। इससे मुझे सन्तोष बना रहता है। मेरा बुखार टूट गया है। कमजोरी है, सो चली जायेगी।

नाजुकलालकी तबीयत सुधर रही है, यह जानकर हम सबको बहुत खुशी हुई। वह तुम्हारी शुद्ध भावसे की गई सेवासे बिलकुल ठीक हो जायेगा।

लगता है, तुम्हारी पढ़ाई अच्छी तरह रही है।

तुम्हें अपने अक्षर सुधारने चाहिये। तुम्हें लिखना तो सदा है; इसलिए यदि धीरे-धीरे सुन्दर अक्षर लिखोगी तो तुम्हारी लिखावट ही वैसी हो जायेगी।

मेरे पत्रकी आशा सदा नहीं रखना। दायें हाथमें दर्द होता है, इसी कारण. यह पत्र बायें हाथसे लिखा है।

बापूके आशीर्वाद

गुजराती पत्र (एस० एन० १२११५) की फोटो-नकलसे।

१६३. पत्र : रामेश्वरदास पोद्दारको

साबरमती आश्रम

माघ बदी २ [३० जनवरी, १९२६][१]

भाई रामेश्वरजी,

आपके पत्र मिले। रुपयेकी पहुँच आपको भेजी गई है, और सूचनाके अनुसार उसका व्यय होगा। दुबारा अगर कुछ द्रव्य भेजना हो तो रजिस्टर या तो बीमा करके भेजनेका प्रयत्न करें। शारीरिक स्वास्थ्यके लिए अच्छे वैद्य या डाक्टरकी सलाह लेना चाहिए और उनके कहनेके मुताबिक चलनेसे व्याधि मिटनेका सम्भव है। संग्रहणी असाध्य इलाज नहीं है। खानेपीनेमें परहेजगार रहना आवश्यक है। मानसिक व्याधिका एक अमूल्य उपाय रामनाम हि है। भले इस पवित्र नाम लेनेमें मुसीबत हो, परन्तु हार्दिक और निरंतरके प्रयत्नसे रामनाम प्रिय लगेगा। हम प्रेयके

  1. १.रामेश्वरदासजीके स्वास्थ्यके उल्लेखसे।