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वक्तव्य : गांधी-स्मट्स समझौतेपर


करनेके सभ्य और बुद्धियुक्त मार्गको ही सुझा सकता हूँ। लेकिन यदि उन्हें यह मार्ग पसन्द नहीं है तो लाठीका कानून ही सुलभ है।

[अंग्रेज़ीसे]

यंग इंडिया, २१-१-१९२६

१४९. अनजानेमें चूक

बिशनपुरके एक पत्र लेखकने मुझे इस बातकी याद दिलाई है कि मैंने अपनी आदतके विपरीत, 'यंग इंडिया' में कुछ दिन पहले लिखी गई बिहार सम्बन्धी अपनी टिप्पणियोंमें धर्मपुर गांधी विद्यालयके शिलान्यासका जिक्र नहीं किया था। मैं उस भूलका सुधार किये ले रहा हूँ। संस्थापकोंके इस सौजन्यको मैं भूल नहीं सकता कि वे मेरे इस दुर्बल शरीरका ध्यान रखते हुए, आधारशिला रखनेके लिए मुझे मुकाम पर जो कि चार-पाँच मील दूर था नहीं ले गये। धर्मपुरसे मेरे छू लेने भरके लिए एक ईंट लाकर ही उन्होंने सन्तोष मान लिया था। मुझसे कहा गया था कि आत्म- त्यागी स्वयंसेवक इस काममें निष्ठापूर्वक लगे हैं। इसकी चर्चा करनेसे चूक गया। एक ही दिनमें सारी घटनाएँ हुई थीं और एक ही प्रकारकी सार्वजनिक बातें नित्य करनी पड़ती थीं। प्रति सप्ताह लिखी जानेवाली मेरी टिप्पणियों में अनेक घटनाओंके उल्लेखका छूट जाना स्वाभाविक है। यद्यपि वे घटनाएँ स्वयं अपनेमें अथवा सम्बन्धित व्यक्तियोंके लिए काफी महत्त्वपूर्ण होती हैं। मुझे आशा है कि विद्यालय अबतक पूरा बन चुका होगा और अच्छी तरह चल रहा होगा।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, २१-१-१९२६

१५०. वक्तव्य : गांधी-स्मट्स समझौतेपर

[२१ जनवरी, १९२६][१]

श्री गांधीने १९१४ के गांधी-स्मट्स समझौतेके बारेमें निम्नलिखित वक्तव्य दिया है:

श्री एन्ड्रयूजने एक तार भेजकर मुझसे गांधी-स्मट्स समझौतेके बारेमें अपना एक वक्तव्य देनेको कहा है; क्योंकि उसे लेकर दक्षिण आफ्रिकामें बहस उठ खड़ी हुई है। इस बीच दक्षिण आफ्रिकाके दो पादरियोंने मेरे तर्कका समर्थन किया है।

याद रखना चाहिए कि समझौता अभिलेखों में सुरक्षित है। इस समझौतेके फलस्वरूप उस संघर्षकी समाप्ति हुई थी जो लगभग ८ वर्षोंतक चलता रहा था।

  1. १. एसोसिएटेड प्रेस ऑफ इंडियाने बम्बईसे यह वक्तव्य इसी तारीखको समाचारपत्रोंको प्रकाशनार्थ भेजा था।