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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

प्रशंसनीय भावना

एक सज्जनने जो महाराजा नाटोरकी प्राणलेवा बीमारीके समय उनके पास थे, उनके अन्तिम समयके दृश्यका निम्नलिखित वर्णन भेजा है:

महारानीजी बड़े ही साहसके साथ यह संकट-काल गुजार रही हैं। उनके दर्शन-मात्रसे ही बड़ा लाभ होता है। यह अल्पवयस्क महिला बड़ी बुद्धिमती और मर्यादापूर्ण स्त्री हैं। महाराजाको मृत्युके चार दिन पहलेसे वे उनके पास जा बैठीं और फिर वहाँसे क्षणभरको भी नहीं हटीं। वे न खाती थीं, न सोती ही थीं; महाराजाकी सेवा-शुश्रूषामें ही लगी रहती थीं; सब काम अपने हो हाथों करती थीं। अन्तिम क्षणोंमें वे उनके कानोंमें भजन गा-गाकर भी सुनाती थीं और अन्तिम साँस निकल जानेपर उन्होंने उनकी आँखें भी बन्द कीं। वे न खुद रोती हैं, न दूसरोंको रोने देती हैं। वे छायाकी तरह घरमें इधरसे उधर फिरती रहती हैं और अपना सब कर्त्तव्य निबाहती रहती हैं। ऐसा मर्यादावान् शोक-सन्तप्त परिवार मैंने कभी नहीं देखा था।

ऐसी भक्ति, ऐसी मर्यादा और ऐसा त्याग अनुकरणीय है। शास्त्रों में व्यक्तिके मरणोपरान्त रोना वर्जित है। फिर भी हिन्दू घरोंमें बहुत कुछ रोना-धोना हुआ करता है। बहुत से स्थानोंमें तो मृत्युके पश्चात् परिवारवालोंका रोना एक रिवाज ही हो गया है और जहाँ रुलाई नहीं आती वहाँ भी रोनेका दिखावा किया जाता है। यह रिवाज असंस्कृत और अधार्मिक है और बन्द कर दिया जाना चाहिए। जिन्हें ईश्वरमे श्रद्धा है उन्हें मानना चाहिए कि मृत्यु संसारसे मुक्ति है; उन्हें उसका स्वागत करना चाहिए। जवानी और वृद्धावस्थाके समान ही यह परिवर्तन भी निश्चित ही है और इसलिए जैसे वृद्धावस्थाके लिए कोई शोक नहीं करता है उसी प्रकार मृत्युपर भी किसीको शोक न करना चाहिए।

अब भी लड़ रहे हैं

नेलौरकी खिलाफत समितिके मन्त्रीने तार द्वारा सूचित किया है :

यहाँ हिन्दुओं और मुसलमानोंके बीच मनमुटाव और पारस्परिक वैमनस्य है। प्रतिक्रियावादी हिन्दू मामूलके खिलाफ मस्जिदोंके सामनेसे बाजा बजाते हुए जुलूस निकाल रहे हैं और मुसलमानोंने गायकी कुरबानी करनेका निर्णय किया है, मामला गम्भीर है। कृपया बीच-बचाव करें।

यद्यपि में इस बातको अनेक बार प्रकट कर चुका हूँ कि इन झगड़ा-फसाद करनेवाले लोगोंपर मेरी बातोंका कोई असर नहीं पड़ता है। मुझे बीच-बचाव करनेके लिए कहना मेरे अभिमानका पोषण करना है। मालूम होता है कि आजकल उनका सितारा बुलन्द है। लेकिन शान्तिपूर्ण वातावरण उत्पन्न करनेकी दिशामें मेरा अभिमान कुछ भी नहीं कर सकता। मैं तो इन दोनों जातिके लोगोंको पंच निर्णय प्राप्त