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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

दीर्घकालसे दुःख उठाते आनेवाले लोगोंमें जाकर, उनके सरपरस्त बनकर नहीं, बल्कि उनके सच्चे हितैषी बनकर काम कर रहे हैं।

[अंग्रेजीसे]

यंग इंडिया, २१-१-१९२६

१४८. टिप्पणियाँ

बड़े दादाका स्वर्गवास

इस बातंपर विश्वास करना कि द्विजेन्द्रनाथ ठाकुर अब नहीं रहे बड़ा ही कठिन है। शान्तिनिकेतनके तारसे यह शोकजनक समाचार मिला है कि बड़े दादाका, जो द्विजेन्द्रनाथ ठाकुरके नामसे प्रख्यात थे, देहावसान हो गया है।

उनकी उम्र ९० वर्षके लगभग थी; फिर भी उनमें ऐसा आनन्द और उत्साह झलकता था कि उनके पास जानेवालेको कभी यह महसूस ही नहीं होता था कि उनके ऐहिक जीवनके अब थोड़े ही दिन शेष हैं। प्रतिभासंपन्न व्यक्तियोंके उस कुटुम्ब में बड़े दादाका एक विशेष स्थान था। वे विद्वान् थे, संस्कृत और अंग्रेजी दोनों भाषाओंका उनका ज्ञान बढ़ा-चढ़ा था। वे बड़े धार्मिक मनुष्य थे और उनका हृदय विशाल था। उपनिषदोंके प्रति उनकी अटल श्रद्धा थी, परन्तु वे संसारकी दूसरी धर्मपुस्तकोंसे ज्ञान प्राप्त करनेको सदा तैयार रहते थे। उन्हें अपने देशके प्रति गहरा अनुराग था, फिर भी उनका देशप्रेम अन्य देशोंके प्रति प्रेमभाव रखने में बाधक न था। वे अहिंसात्मक असहयोगके आध्यात्मिक रहस्यको समझते थे, लेकिन वे उसके राजनैतिक महत्त्वको न समझते हों सो बात भी न थी। वे चरखेमें हृदयसे विश्वास रखते थे और इस बड़ी उम्र में आकर भी उन्होंने खादी पहनना शुरू कर दिया था। आधुनिक बातोंको वे युवकों-जैसे उत्साहके साथ नियमित रूपसे जाननेके लिए उत्सुक रहा करते थे। बड़े दादाकी मृत्युसे हमारे बीचसे एक महान् साधु, तत्त्वज्ञानी और देशभक्त उठ गया है। मैं 'कवि' और शान्तिनिकेतनवासियोंके प्रति अपनी समवेदना प्रकट करता हूँ।

अखिल भारतीय देशबन्धु स्मारक

श्रीयुत मणिलाल कोठारी, अखिल भारतीय देशबन्धु स्मारककी ओरसे अथवा दूसरे शब्दोंमें खादी आन्दोलनके निमित्त धन-संग्रह करनेके उद्देश्यसे इस सप्ताह रंगून पहुँच रहे हैं। वह काठियावाड़ियोंसे काठियावाड़ परिषद्के बजटके लिए भी जो मुख्यतया खादी कार्य ही है, धन-संग्रह करेंगे। जो काठियावाड़ी केवल काठियावाड़में ही खादी कार्य करनेके लिए देशबन्धुनिधिमें धन देना चाहते हैं, उन्हें अपने चन्देमें इसका स्पष्ट उल्लेख कर देना चाहिए। लेकिन मुझे आशा है कि कोठारीजीकी अपीलपर उन लोगोंसे काफी धन मिलेगा जो उस महान् देशभक्तकी स्मृतिके प्रति श्रद्धा रखते हैं और खादीमें विश्वास करते हैं।