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टिप्पणियाँ

है वह इतनी ज्यादा होती है कि बहुधा यूरोपीयोंको सीमित आयमें गुजर करना कठिन हो जाता है। चूंकि भारतीय मितव्ययी होता है, वह अपना माल यूरोपीयोंके मुकाबिले सस्ता बेच सकता है। रेसोंमें तथा अन्य स्थानोंपर, जुआ, अत्यधिक खेल-तमाशे, भोगविलास, मोटी-मोटी तनख्वाहों तथा दूसरी फिजूल खर्चीके कारण श्वेत लोगोंका जीवन बहुत खर्चीला हो गया है। अश्वेत लोगोंका जीवन अपेक्षाकृत कम खर्चीला है। . श्वेत लोग जीवनका ऐसा एक स्तर चाहते हैं जो उनके अपने देशमें उपलब्ध जीवनस्तरसे भी बहुत ऊपरका है।

सरोजिनी देवीकी प्रशस्ति

श्रीमती सरोजिनी देवीके दक्षिणी आफ्रिकासे लौटनेपर वहाँ उनके कार्योंका जो प्रभाव पड़ा है, उसके बारेमें फीनिक्ससे श्री एन्ड्रयूज लिखते हैं:

श्रीमती सरोजिनी देवीके यहाँ हो जानेसे एक ऐसी बात हुई है जिसके लिए मेरा हृदय उन्हें रोज दुआ देता है। उन्होंने यहाँके आदिवासियों और भारतीयोंके हितोंमें एकता स्थापित कर दी है। आदिवासियों और अश्वेतों, दोनोंके मनपर उनका बड़ा गहरा प्रभाव पड़ा है और मैं हर जगह देखता हूँ कि उनके आने से उनके बीचकी एकता और भी दृढ़ हो गई है। सरोजिनी देवीके भ्रमणका जिस प्रकार व्यापक प्रचार हुआ, उससे वे बहुत आकर्षित हुए हैं और सरोजिनी देवीकी लोकप्रियता में वृद्धि हुई है। आदिवासियों और अश्वेतोंके प्रति सरोजिनी देवीका प्रेम इतना वास्तविक था कि वे उन्हें रानीके रूपमें देखते थे । वह् भारतीय नेताओं में भी एक स्वस्थ चेतनाका संचार करके गई हैं और अब वे आदिवासियोंके हितसे अपना हित कदापि अलग नहीं मानेंगे। जहाँतक दक्षिण आफ्रिकाका सम्बन्ध है, वह खतरा एकदम दूर हो गया है। लेकिन पूर्व आफ्रिकाके बारेमें मेरा मन अभी आश्वस्त नहीं है।

वाइकोमका सत्याग्रह

जो हिन्दू सुधारक अस्पृश्यताको दूर करनेके लिए कृतसंकल्प है उन्हें वाइकोमके सत्याग्रहका वास्तविक अर्थ और उसके परिणाम समझ लेने चाहिए। सत्याग्रहियोंका तात्कालिक ध्येय मन्दिरके आसपासके रास्तोंको सबके लिए खुलवाना था, मन्दिरोंमें प्रवेश करना नहीं। उनका कहना यह था कि रास्ते जिस प्रकार दूसरे हिन्दुओं और अहिन्दुओंके लिए खुले हुए हैं उसी प्रकार अस्पृश्योंके लिए भी खुले होने चाहिए । इसमें उनकी पूरी-पूरी विजय हुई है। यद्यपि सत्याग्रह रास्तोंको खुलवानेके लिए ही किया गया था फिर भी सुधारकोंका अंन्तिम उद्देश्य तो यही है कि अन्य हिन्दुओंको जो कठिनाइयाँ नहीं होतीं और जो अस्पृश्योंको ही सहन करनी पड़ती हैं वे दूर की जायें । इसलिए इसमें मन्दिर, कुएँ और शाला इत्यादि जगहोंमें जहाँ दूसरे अब्राह्मण