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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

करके जीतना चाहते हैं। आप सौजन्यकी मर्यादा नहीं छोड़ते - तब हम लाचार हो जाते हैं।" इसी तरहके विचार जनरल स्मट्सने भी व्यक्त किये थे।

पाठकोंको जानना चाहिए कि सत्याग्रहियोंके विवेक और विनयका यह पहला ही उदाहरण न था। जब उत्तरी भागमें हड़ताल हुई थी तब ऐसी स्थिति आ गई थी कि यदि कटा हुआ गन्ना ठीक जगह (चीनीके कारखानोंतक) न पहुँचाया जाता तो मालिकोंका बहुत नुकसान होता। इसलिए पन्द्रह सौ हिन्दुस्तानी मजदूर उतना काम पूरा करने के लिए फिर कामपर लग गये और जब वह काम पूरा हो गया तब फिर हड़तालमें अपने साथियों के साथ आ मिले। फिर डर्बन नगरपालिकामें गिरमिटि- योंकी हड़ताल हुई तब जो लोग भंगीका काम और अस्पतालोंमें सेवाका काम करते थे उनको वापस भेजा गया और वे खुश होकर अपने कामपर वापस गए। यदि भंगी काम न करते और अस्पतालोंमें सेवक सेवा न करते तो बीमारियाँ फैलतीं और बीमारोंकी सार-सँभाल भी बाधा आती । सत्याग्रही यह नहीं चाहते थे। इसलिए ऐसे नौकरोंको हड़तालसे मुक्त कर दिया गया था। सत्याग्रहियोंकी अपने प्रत्येक कदममें विरोधीको स्थितिका खयाल रखना ही चाहिए।

मैंने देखा, इस तरहके अनेक विवेकपूर्ण उदाहरणोंका अदृश्य प्रभाव चारों ओर हुआ। उससे हिन्दुस्तानियों को प्रतिष्ठा बढ़ती थी और समझौतेके लिए अनुकूल वाता- वरण तैयार होता था ।

अध्याय ४८

प्राथमिक समझौता

इस तरह समझौते के लिए अनुकूल वातावरण बन रहा था । श्री एन्ड्रयूज और मैं जब प्रिटोरिया पहुँचे तभी सर बेंजामिन रॉबर्टसन, जिन्हें लॉर्ड हार्डिगने एक खास जहाजमें भेजा था, वहाँ पहुँचे। किन्तु हमें तो जनरल स्मट्सके नियत किये हुए दिन उनसे मिलने पहुँचना था, इसि हम सर बेंजामिनकी राह देखे बिना ही. रवाना हो गये थे। उनकी राह देखनेका कोई कारण भी नहीं था। लड़ाईका परिणाम तो हमारी शक्तिके अनुसार ही होना था।

यद्यपि प्रिटोरिया हम दोनों ही गये थे, किन्तु जनरल स्मट्ससे मुझे अकेले ही मिलना था। वे रेलके गोरे कर्मचारियोंकी हड़तालके कारण बहुत कार्यव्यस्त थे। यह हड़ताल इतनी भयंकर थी कि संघ सरकारने उसके कारण फौजी कानून जारी कर दिया था। इन कर्मचारियोंका उद्देश्य केवल वेतनवृद्धि कराना नहीं था,

१. अंग्रेजी अनुवादमें यहाँ "बारह सौ"है।

२. २९ दिसम्बरको गांधीजीने गोखलेको जो तार भेजा उसमें स्थितिका सही चित्रण है। देखिए खण्ड १२, पृष्ठ २९९-३०२।

३. रॉबर्टसन २१ जनवरी १९१४ को डर्बन पहुँचे। गोखलेके आग्रहपर गांधीजीने रॉबर्टसनके दक्षिण आफ्रिका पहुँचनेतक फूचको स्थगित करना स्वीकार किया था। देखिए खण्ड १२, पृष्ठ २९५ ।