कर लें, यदि वे गिरफ्तार किये जायें तो गिरफ्तार हो जायें, मेरे गिरफ्तार हो जाने- पर भी कूच जारी रखें आदि ऐसी ही दूसरी बातें मैंने उनको समझा दीं। मैंने यह भी बता दिया कि मेरी जगह एकके बाद एक दूसरे कौन लोग नियुक्त किये जायेंगे।
लोग सब बातें समझ गये । काफिला सही-सलामत चार्ल्सटाउन पहुँच गया। वहाँके व्यापारियोंने हमें बहुत सहायता दी। उन्होंने हमें उपयोगके लिए अपने मकान दे दिये और मस्जिदकी जमीनमें खाना पकानेकी छूट दे दी। कूच करते वक्त जो खाना दिया जाता वह मंजिलतक पहुँचते-पहुँचते साफ हो जाता, इसलिए खाना पकानेके बरतनोंकी जरूरत थी। उन्होंने ये बर्तन भी खुशीसे दे दिये । हमारे पास चावल-दाल तो बहुत जमा हो गया। व्यापारियोंने इस दानमें भी अपना हाथ बॅटाया था ।
चार्ल्सटाउन एक छोटा कस्बा है। उसमें उस वक्त करीब चार-पाँच हजार आदमी होंगे; उसमें इतने ही और आदमियोंक समाना मुश्किल था। स्त्रियाँ और बच्चे तो मकानोंमें रख दिये गये; किन्तु बाकी बहुत से लोग मैदानमें ही ठहराये गये ।
यहाँके मीठे संस्मरण बहुतसे है। किन्तु कुछ कड़वे संस्मरण भी हैं। मीठे संस्मरणोंमें मुख्यतः चार्ल्सटाउनके स्वास्थ्य विभागका और उस विभागके अधिकारी डा० ब्रिस्कोका है। वे आबादी इतनी बढ़ी देखकर डर गये; किन्तु कोई कड़ा कदम उठानेके बजाय मुझसे मिले और कुछ सुझाव देनेके बाद सहायता देनेकी बात भी कही। यूरोपके लोग इन तीन बातोंकी सावधानी रखते हैं; किन्तु हम नहीं रखते, पानीकी सफाई, रास्तोंकी सफाई और पाखानोंकी सफाई। उन्होंने शिकायत की कि मैं लोगोंको पानी न फैलाने दूं, चाहे जहाँ लघु शंका न करने दूं और कहीं भी कूड़ा करकट न डालने दूं; वे जो जगह बतायें उसी जगहमें उन लोगोंको रखूं और उसे साफ सुथरी रखनेकी जिम्मेदारी लूँ। मैंने उनकी ये बातें कृतज्ञतापूर्वक स्वीकार की। इसके बाद मुझे बेफिकी हो गई ।
अपने देशके लोगोंसे इन नियमोंका पालन कराना बहुत कठिन काम है। किन्तु लोगोंने और साथियोंने यह आसान बना दिया। यह मेरा सदाका अनुभव है कि सेवक सेवा करें और हुक्म न चलायें तो बहुत कुछ काम हो जा सकता है। सेवक स्वयं अपने शरीरसे मेहनत करे तो दूसरे भी मेहनत करेंगे। मुझे इसका खासा तजुरबा इस छावनी में हुआ । मेरे साथी और मैं झाड़ लगाने और मैला उठाने आदि कामोंको करनेमें तनिक भी नहीं झिझकते थे। इससे लोग उन कामोंको उत्साहसे करने लगते । हम ऐसा न करते तो किसे हुक्म देते ? यदि सब सरदार बनकर दूसरोंपर हुक्म चलायें तो अन्त में काम हो ही नहीं, किन्तु जहाँ सरदार स्वयं सेवक बन जाये, वहाँ दूसरे सरदारीका दावा कर ही कैसे सकते हैं ?
साथियोंमें से कैलनबैक आ गये थे । कुमारी इलेसिन भी पहुँच गई थी। इस बहनकी श्रमशीलता, लगन और ईमानदारीकी प्रशंसा जितनी करूँ उतनी कम है। हिन्दुस्तानियोंमें स्वर्गीय श्री पी० के० नायडू और श्री अल्बर्ट क्रिस्टोफरके नाम मुझे