पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 28.pdf/७९

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
५१
भाषण : इंडियन एसोसिएशन, जमशेदपुरमें


मैंने कहा है कि मैं 'नॉन-कोऑपरेटर' (असहयोगी) हूँ। मैं अपनेको 'सिविल रेजिस्टर' (सविनय अवज्ञा करनेवाला) कहता हूँ। दूसरे अनेक अंग्रेजी शब्दोंकी तरह अंग्रेजी भाषामें ये शब्द भी किंचित् बदनाम हो गये हैं। लेकिन मैं असहयोग इसलिए करता हूँ कि सहयोग कर सकूँ। झूठे सहयोगसे मुझे सन्तोष नहीं हो सकता—मैं तो शुद्ध, सच्चे, पूरे २४ केरेटके सोनेसे ही सन्तुष्ट हो सकता हूँ। मेरा असहयोग मुझे सर माइकेल ओ'डायर और जनरल डायरसे भी सौहार्द रखनेसे नहीं रोकता। यह किसीका अपकार नहीं करता; यह असहयोग बुराई करनेवालोंके साथ नहीं, बल्कि बुराईके साथ, एक बुरी प्रणालीके साथ है। मेरे धर्मका आदेश है कि बुराई करनेवालेसे भी प्रेम करो। मेरा असहयोग मेरे इसी धर्मका एक अंश-भर है। मैं ये बातें किसीके कानोंको सुख पहुँचानेके लिए नहीं कह रहा हूँ। मैंने जीवनमें कभी भी यह पाप नहीं किया है कि जो बात हृदयसे न चाहूँ, वह मुँहसे कहूँ। मेरा स्वभाव तो सीधे हृदयके द्वारमें प्रवेश करना है, और यदि अकसर में तत्काल ऐसा करने में असफल हो जाता है तो भी में जानता है कि अन्ततःलोग सत्यको सूनेंगे ही, उसका अनुभव करेंगे ही। मेरा अतीतका अनुभव ऐसा ही रहा है। इसलिए मेरी यह कामना है कि आपके सम्बन्ध अधिकसे-अधिक सौहार्दमय हों, यह मेरे हृदयकी गहराईसे निकली हुई इच्छा है। प्रभुसे मेरी हार्दिक प्रार्थना है कि आप भारतको बुराई और बन्धनसे छुटकारा दिलानेमें सहायक हों और उसे बाहरी दुनियाको शान्तिका सन्देश देने योग्य बनायें। कारण भारतीयों और भारतमें रहनेवाले यूरोपीयोंकी इस सभाका कोई विशेष हेतु, कोई विशेष प्रयोजन होना ही चाहिए; अगर अभीतक नहीं था तो आप ऐसा कुछ करें जिससे इसका एक विशेष हेतु, एक विशेष प्रयोजन बन जाये। वह हेतु इससे अच्छा और क्या हो सकता है कि हम दोनों संसारमें शान्ति और सद्भावनाका प्रसार करनेके लिए मिल-जुलकर रह सकें? ईश्वर करे, टाटा कम्पनीकी सेवा करने में आप भारतकी भी सेवा करें और आपको बराबर इस बातका एहसास रहे कि आप यहाँ सिर्फ एक औद्योगिक पेढ़ीके लिए काम करनेकी अपेक्षा किसी बड़े मकसदको लेकर आये हैं।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २०–८–१९२५