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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

से एका[१] बम्बई कार्यकारिणी परिषदके सदस्य थे। वे मेरी ही उनके व्यक्ति ह। उन्होंने अभी कुछ ही महीने पहले कताई सीखी। उन्होंने कहा, "कताई करना शुरू करनेके बादसे मैं अनिद्रासे कुछ हदतक छुटकारा पा गया है। पहले मैं दफ्तरसे बहुत थका-माँदा, कभी-कभी आधी रातको लौटता था और ऊँघते हुए ऐसी समस्याओंके बारेमें सोचता रहता था, जिनका खयाल में मनमें नहीं लाना चाहता था। अब मैं चरखेके पास बैठकर कातता हुआ सब समस्याएँ भूल जाता हूँ। [और उसके बाद जब सोने जाता हैं तब तत्काल आनन्ददायक नींद आ जाती है, बिलकूल बेफिक्रीकी नींद।" आप खुद आजमाकर देखिए कि यह क्या कर सकता है, क्या नहीं कर सकता।

आप कोई चटपटा कार्यक्रम चाहते हैं। ब्रह्मचारियोंके लिए वह रस वर्जित है। विद्यार्थी जीवनमें आपको तमाम चटपटी चीजोंसे दूर रहना चाहिए। जिन्दगीमें यह रस यों ही बहुत है। गृहस्थ बन जानेपर आपको वह सब अपने-आप मिल जायेगा। लेकिन अभी आपको उसकी जरूरत नहीं है। आज आपको चित्तकी शान्तिकी जरूरत है। आप 'गीता' के दूसरे अध्यायके अन्तिम २० श्लोक पढ़िए और साथ ही वर्ड्स्वर्थ द्वारा किया गया सिपाहीका वर्णन भी पढ़िए। दोनोंमें जो समान तत्त्व है, उन्हें देखनेकी कोशिश कीजिए। उनका चिन्तन करके देखिए, फिर आपको प्रश्न पूछनेकी जरूरत ही नहीं रह जायेगी।

आशा है, अब मैंने आपके सभी प्रश्नोंके उत्तर दे दिये है। अगर और कुछ जानना चाहें तो मझे लिखें। मैं अपनी दूसरी जिम्मेदारियोंका ध्यान रखते हए आपको जल्दीसे-जल्दी जवाब दूँगा।

मैं आपके भीतर विश्वास पैदा नहीं कर सकता। यह ईश्वर ही कर सकता है। मैं तो सिर्फ समझानेकी ही कोशिश कर सकता हूँ, आपके लिए प्रार्थना ही कर सकता हूँ।

ईश्वर आपको वैसा बनने में सहायता दे, जैसा आपको बनना चाहिए।

[अंग्रेजीसे]
कृष्णनाथ कालेज सेंटिनरी कमेमोरेशन वॉल्यूम
  1. आशय सर प्रभाशंकर पढ्ढणीसे है; "टिप्पणियाँ", ९–८–१९२४ का उपशीर्षक "बासन्ती देवीका चरखा"।