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तारीखवार जीवन-वृतान्त


विक्रमकी सार्वजनिक सभामें भाषण :

२९ सितम्बर : पटना नगरपालिका द्वारा दिये गये मानपत्रका उत्तर देते हुए गांधीजीने जनताके प्रति नगरपालिकाओंके कर्त्तव्यपर जोर डाला।

१ अक्तूबर : भागलपुरकी मारवाड़ी अग्रवाल सभाम भाषण। सार्वजनिक सभामें सभी सम्प्रदायके लोगोंसे अखिल भारतीय चरखा संघमें सम्मिलित होने का आग्रह किया।

७ अक्तूबर : गिरीडीहकी सभामें भाषण। दक्षिण आफ्रिकाके भारतीयोंके सम्बन्धमें समाचारपत्रोंको वक्तव्य दिया।

१३ अक्तूबर : बिशनपुरमें भाषण।

१६ अक्तूबर : बलियाकी जिला परिषद्म भाषण देते हुए गांधीजीने कहा कि भारतकी गरीबी दूर करनेके लिए चरखा ही एकमात्र उपाय है।

१७ अक्तूबर : काशी विद्यापीठके विद्यार्थियोंकी सभामें अनिवार्य रूपसे चरखा कातनेकी अपील की। लखनऊकी दो सभाओं में भाषण। सीतापुर नगरपालिका द्वारा दिये गये मानपत्रका उत्तर दिया। एक अन्य सभामें हिन्दुओंसे मुसलमानोंके प्रति दुर्भाव न रखने का आग्रह किया।

१८ अक्तूबर : संयुक्तप्रान्त हिन्दी साहित्य सम्मेलनके मानपत्रके उत्तरमें कहा कि हिन्दी ही भारतकी राष्ट्रभाषा हो सकती है। संयुक्तप्रान्त राजनैतिक सम्मेलन में मुख्यतः चरखे तथा अस्पृश्यताके विषयमें बोले। अस्पृश्यता विरोधी सम्मेलनमें भाषण।

२० अक्तूबर : स्टीमरसे कच्छ जाते समय बम्बईमें विदा करने के लिए आये लोगोंके सम्मुख भाषण।

२२ अक्तूबर : द्वारकामें नागरिकोंके शिष्टमण्डलने स्टीमरपर गांधीजीको मानपत्र भेंट किया। भुजको सार्वजनिक सभामें कहा कि यदि हिन्दूधर्मसे अस्पृश्यता न मिटी तो वह नष्ट हो जायेगा।

२३ अक्तूबर : भुजकी सार्वजनिक सभामें कहा कि गोरक्षाके प्रश्नको तथाकथित गो-रक्षकोंने ही बिगाड़ा है।

३१ अक्तूबर : माण्डवीमें भाषण।

१ नवम्बर : मुन्द्राको सभामें प्रचलित अस्पृश्यताको देखकर अपनी मनोव्यथा व्यक्त करते हुए लोगोंसे उसे दूर करनेकी मार्मिक अपील की।

२ नवम्बर : अंजारमें भाषण।

६ नवम्बरसे पूर्व : पत्र-प्रतिनिधियोंके साथ हुई अपनी भेंटमें गांधीजीने अपने वचनके अनुसार स्वराज्यवादियोंकी सहायता करनेका निश्चय व्यक्त किया।

२२ नवम्बर : अहमदाबादके विद्यार्थियों द्वारा आयोजित 'युवक सप्ताह' का उद्घाटन करते हुए उनसे आशावादी बननेका तथा त्याग और संयमकी साधनाका आग्रह किया।

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