तारीखवार जीवन-वृत्तान्त
(१ अगस्त, १९२५ से २२ नवम्बर, १९२५ तक)
१ अगस्तसे पूर्व : कलकत्तामें गांधीजीने "इंग्लिशमैन" के प्रतिनिधिसे भेंट की।
१ अगस्त : तिलककी पुण्यतिथिके अवसरपर दिये भाषणमें स्वराज्य प्राप्तिके लिए खद्दर और चरखा अपनानेका जनतासे आग्रह किया।
२ अगस्त : कांग्रेसकी गतिविधियोंमें राजनीतिको शामिल करने के बारेमें मोतीलाल नेहरूको लिखे अपने पत्रके आशयको 'नवजीवन' के एक लेखमें स्पष्ट किया।
४ अगस्त : डॉ॰ मोरेनोसे हुई बातचीतमें अपने हालके इस वक्तव्यका कि आंग्ल भारतीयोंको नकल नहीं करनी चाहिए, स्पष्टीकरण किया। भारतीय ईसाइयोंकी सभामें भाषण।
६ अगस्त : कृष्णनाथ कालेज, बहरामपुर गये जहाँ उन्हें एक मानपत्र और देशबन्धु स्मारक कोषके लिए थैली भेंट की गई।
७ अगस्त : बैरकपुरमें सर सुरेन्द्रनाथ बनर्जीका स्वर्गवास। गांधीजी उनके घर संवेदना प्रकट करने गये।
८ अगस्त : टाटा स्टील व, जमशेदपुरमें भारतीयों तथा यूरोपीयोंकी सभामें भाषण।
९ अगस्त : टाटा स्टील वकसके अधिकारियोंके समक्ष भाषण। जमशेदपुरकी एक बड़ी सभामें मजदूरोंसे मद्यपान छोड़नेकी अपील की
१२ अगस्त : कलकत्तामें 'वसुमती' का कार्यालय देखने गये। वाई॰ एम॰ सी॰ ए॰ की चौरंगी स्थित शाखामें "भारतीय ईसाई नवयुवकोंके कर्त्तव्य" पर भाषण।
१४ अगस्त : श्रीरामपुरका हथकरघा कारखाना देखने गये।
१५ अगस्त : कलकत्ताकी सार्वजनिक सभामें सर सुरेन्द्रनाथ बनर्जीके निधनपर शोक प्रस्ताव पेश करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की तथा सामाजिक सुधारोंकी आवश्यकता पर जोर दिया।
१६ अगस्त : सर सुरेन्द्रनाथ बनर्जीके दाह-संस्कारमें सम्मिलित हुए।
१८ अगस्त : गांधीजीने कलकताके रोटरी क्लबकी बैठकमें 'चरखे' पर भाषण दिया।
१९ अगस्त : कटकमें उत्कल चर्मालय देखने गये; सार्वजनिक सभामें भाषण।
२१ अगस्त : कलकत्तामें 'इंग्लिशमैन' के प्रतिनिधिसे हुई भेंटमें सुहरावर्दीक स्वराज्य दलसे इस्तीफा देनेके सम्बन्धमें अपनी स्थिति स्पष्ट की।
२४ अगस्त : टीटागढ़के दंगोंके बारेमें दोनों सम्प्रदायोंके नेताओंसे बातचीत की।
२५ अगस्त : वाई॰ एम॰ सी॰ ए॰ की कॉलेज शाखामें भाषण।
२६ अगस्त : भारतीय मनोविश्लेषण संस्थाके सदस्योंके साथ हुई भेंटमें हिन्दू-मुस्लिम समस्याके मूलभूत कारणोंका विश्लेषण किया।