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परिशिष्ट


इंग्लैंड उसी उत्तम खेलको अपनाये हुए है। ईसाइयोंके शान्ति और दानके पर्व क्रिसमसके उपलक्षमें प्रकाशित सचित्र समाचारपत्रोंकी तरफ देखिए। डेन्मार्कमें एक रात्रिभोजमें एक डेनिश महाशयने यों हो एक अंग्रेज महिलासे कह दिया कि मैंने एक लोमड़ी गोलीसे मार दी थी। वह तुरन्त उसके बाजू पकड़कर चीख पड़ी—हे भगवान्! ऐसा मत कहिये कि लोमड़ी गोलीसे मार दी। इसके बाद उस महिलाने घृणासे उसकी तरफ पीठकर ली,—क्योंकि एक भद्रपुरुषके लिए यह शोभनीय नहीं कि वह जानवरको तकलीफ दिये बिना मारे। एक डेनिश पादरीने एक बार लाल समुद्र पर यात्रा करते समय आदिवासियोंको सिक्कोंके लिए जहाजसे समुद्र में गोता लगाते देखा। लेकिन अंग्रेज औरतोंको उन्हें जहाजकी छतसे बाहर कूदते देखने में सन्तोष नहीं हो रहा था; उन्होंने उनको मस्तूलकी चोटीसे कूदनेका हुक्म दिया ताकि वह दृश्य और भी सनसनीखेज हो। पिछली शताब्दियोंमें अफीम-युद्ध और आयरलैंडके साथ बरताव अंग्रेजोंकी नैतिकताके अन्य प्रमाण हैं। इंग्लैडके लोगोंने अनिवार्य भरतीका विरोध किया जिसके परिणामस्वरूप सौभाग्यसे तोपोंके लिए सिपाहियोंका जबरन् बलि-भोग टल गया। लेकिन विश्व युद्धमें भारतीय स्वयंसेवकोंको उदारता-पूर्वक दिये गये वायदेका पुरस्कार क्या मिला? यहाँ अमृतसरका उल्लेख-मात्र काफी होगा।

कम महत्त्ववाले राष्ट्रोंके योजनाबद्ध दमनकी अत्यन्त पाशविक 'स्वामियोंकी नैतिकताका' का बोल्शेविज्मसे पूर्व जर्मनीने सृजन किया। १८९५ की पान-जर्मन-योजना 'पुरे जर्मनों' को वोट देनेका, संसदों और अन्य पदोंके लिए निर्वाचित होनेका और जमीन-जायदाद खरीदनेका विशेषाधिकार देती है। निम्न कोटिका शारीरिक श्रम करनेवाले लोगोंके रूपमें विदेशियोंको अपने देशमें वे खुशीसे बर्दाश्त कर लेते हैं। एक बार एक जर्मन अस्पतालको देखने आये। एक डेनिश सर्जन (शल्यचिकित्सक) ने एक शरीरसे बदलकर दूसरे शरीरमें जीवित शिरायें लगानेका काम देखा। जब उसने आश्चर्य से पूछा कि इसके लिए पर्याप्त शिरायें कैसे मुहैया की जा सकेंगी, तो जर्मन प्रोफेसरने जवाब दिया कि हमारे पास काफी पौलेण्डके लोग हैं। १९१२के डेलब्रेक कानूनने सन्देह न करनेवाले दूसरे राष्ट्रोंकी प्रामाणिक तौरपर नागरिकता पा लेनेके बाद भी जर्मन प्रवासियोंको गुप्त रूपसे जर्मन साम्राज्यके नागरिक बने रह सकनेकी सुविधा दी,—पान-जर्मनिज्मके हजारों प्रच्छन्न एजेंट तैयार करनेका कितना सुन्दर एवं उत्कृष्ट तरीका था। इस अनिवार्य भरतीसे जर्मन लोगोंको उनकी लड़ाईमें सेवा करनेके लिए कम महत्त्ववाले राष्ट्रोंके लाखों बेटे तोपोंकी अग्निके लिए हव्य-स्वरूप मुहैया हुए, जबकि इन विपद्ग्रस्त लोगोंके सम्बन्धियोंका घरोंमें अत्यन्त पाशविक ढंगसे दमन किया गया। इस प्रकार उत्तरी स्क्लेशविगके ६००० डेन्मार्क निवासी एक विदेशी और जघन्य उद्देश्यके लिए महायुद्ध में मौतके घाट उतार दिये गये। नागरिकोंकी जबरन् भरती द्वारा जर्मनोंने हज़ारों बेल्जियम निवासियोंको गुलामीमें बाँध दिया, इन बेचारोंको कभी-कभी गोलियोंकी बौछारके क्षेत्रमें भी काम करनेको मजबूर किया जाता था।

बोल्शेविज्म अपने शासनकी सौभाग्यशाली नींवके लिए महान् जर्मन अधिकारियोंका ऋणी है। दुर्भाग्यवश झूठ और नृशंसताके पान-जर्मन तरीके अभी व्यवहारमें लाये