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परिशिष्ट


यह निश्चय किया जाता है कि जितना भी राजनैतिक कार्य देशके हितमें ज़रूरी हो, उसे कांग्रेस हाथमें ले और चलाये और इसके लिए वह कांग्रेसकी सारी मशीनरी और कोषको काममें लाये, सिवाय ऐसे कोषों और सम्पत्तिके जो किसी विशेष कामके लिए निर्धारित है और ऐसे कोष व सम्पत्ति जो अखिल भारतीय खादी मण्डल और प्रान्तीय खादी मण्डलोंकी है और जो महात्मा गांधी द्वारा शुरू किये जा रहे कांग्रेस संगठनके एक अभिन्न अंगकी तरह अखिल भारतीय चरखा संघको मौजूदा सभी वित्तीय देनदारियोंके सहित सौंप दिये जायेंगे, लेकिन चरखा संघका स्वतन्त्र अस्तित्व होगा और अपने उद्देश्यकी पूर्त्तिके लिए उसे इन अन्य कोषोंको व्यवहारमें लानेके पूरे अधिकार होंगे;

बशर्तें कि भारतीय तथा प्रान्तीय विधान सभाओंमें काम स्वराज्य दल द्वारा निर्धारित उस नीति और कार्यक्रमके अनसार चलाया जायेगा जो दलके बन अपने संविधान और उसके अन्तर्गत ऐसे नियमों के अधीन होगा जिसमें कि कांग्रेस समय-समयपर ऐसे सुधार कर सकेगी जिन्हें उक्त नीतिको अमल में लाने के लिए जरूरी समझेगी।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १–१०–१९२५
 

परिशिष्ट ३
यूरोपसे

केवल भारतने ही नहीं, वरन् शेष संसारने भी सत्याग्रह और स्वदेशीका आपका सन्देश सुना है। यूरोपमें काफी बड़ी संख्यामें नवयुवक आपके सिद्धान्तमें आस्था रखते है। वे उसमें राजनीतिक मामलोंमें एक नया दृष्टिकोण कार्यान्वित होता हुआ देख रहे हैं—ऐसा दृष्टिकोण जिसकी वे अबतक केवल कल्पना ही कर पाये थे।

लेकिन जिन नवयुवकोंको आपके सन्देशकी सच्चाईमें विश्वास है, उनमें बहुतेरे ऐसे हैं कि आप जो अपेक्षाएँ मानवसे रखते हैं, उनमें से कुछ अपेक्षाओंको वे गलत समझते हैं और उनसे सहमत नहीं हो पाते, उन्हीं की ओरसे यह पत्र लिखा गया है।

एक प्रश्नके उत्तरमें आपने २१ मार्चको कहा था कि सत्याग्रह पूर्ण अहिंसाकी अपेक्षा रखता है, यहाँतक कि बलात्कारका खतरा होनेपर भी किसी स्त्रीको हिंसा द्वारा अपना बचाव नहीं करना चाहिए। दूसरी ओर यह भी विदित ही है कि आपने अंग्रेज-सरकार द्वारा जनरल डायरको दण्ड दिये जानेकी सिफारिश की थी, जिससे यह जाहिर होता है कि आप हिंसाके जरिये कानूनको प्रत्याभूत करनेकी ज़रूरत समझते हैं। इस सबसे मैं केवल यही निष्कर्ष निकाल सकता हूँ कि आप मृत्युदण्डपर भी आपत्ति नहीं करते है और इसलिए सामान्यतया प्राण-हरणको भी निन्दनीय नहीं समझते हैं। आप जीवनका मूल्य इतना कम आँकते हैं कि आप हज़ारों भारतीयोंको