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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

इसलिए इससे स्पष्ट निष्कर्ष यही निकल सकता है, कि हम लोगोंने अपने पारस्परिक व्यवहार में भी ऐसे तरीकोंको नहीं अपनाया है जो परीक्षा करनेपर खरे उतर सकें। एक महाशयने तो पत्र लिखकर मुझे यह सलाह भी भेजी थी कि अपने प्रतिपक्षियोंके प्रति तो हमें सत्य और अहिंसाका ही व्यवहार रखना चाहिए। लेकिन हमारे पारस्परिक व्यवहारमें इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। अनुभवसे ज्ञात होता है कि यदि हम सभी प्रसंगोंपर सत्य और अहिंसाका बरताव नहीं करते तो केवल कुछ मौकोंपर और कुछ लोगोंके साथ भी हम वैसा बरताव नहीं कर पाते। यदि हम आपसमें ही एक-दूसरेका खयाल नहीं रखेंगे तो बाहरी लोगोंका भी खयाल नहीं रख सकेंगे। यदि हम आपसमें और बाहरके लोगोंके साथ छोटीसे-छोटी बातोंमें भी अपना व्यवहार विचारपूर्वक शुद्ध नहीं रखेंगे, तो कांग्रेसने जो कुछ प्रतिष्ठा प्राप्त की है, सब धूलमें मिल जायेगी। अगर हम छोटी चीजों का ध्यान रखे तो बड़ी चीजें स्वयं सध जाएंगी।

सच्चे कांग्रेसीका मतलब है, सच्चा सेवक। वह हमेशा सेवा करता है, लेता कभी नहीं। जहाँतक उसके अपने शारीरिक आरामका सवाल है, उसको बहुत थोड़े-से सन्तोष हो जाता है। सबसे पीछे बैठने में ही वह सुख मानता है। उसमें साम्प्रदायिकता या प्रान्तीयताकी भावना नहीं होती। उसके लिए देश सबसे बढ़कर है। समस्त सांसारिक आकांक्षाओंके प्रति विरक्त और मृत्युके भयसे मुक्त वह व्यक्ति दुनियाकी दष्टिमें शायद दोषको हदतक, बहादुर होता है, और चूंकि वह बहादुर होता है, इसलिए उदार भी होता है। चूंकि वह नम्र होता है और अपने दोषोंका और अपनी मर्यादाका उसे ज्ञान होता है, इसलिए वह क्षमाशील भी होता है।

यदि ऐसे कांग्रेसियोंका मिलना मुश्किल है, तो स्वराज्य बहुत दूर है और हमें अपने उद्देश्यको बदलना होगा। अभीतक हमें स्वराज्य नहीं मिला है, यही इस बातका सबूत है कि आज जितने चाहिए उतने सच्चे कांग्रेसी नहीं है। लेकिन चाहे जो हो, यदि मैंने इन अशोभन प्रसंगोंका, जिनकी संख्या अधिक भी हो सकती है, उल्लेख किया है, तो मैं कृतज्ञताके साथ इस बातकी साक्षी भी अवश्य भरूँगा कि हमारे बीच ऐसे कांग्रेसी भी पड़े हैं, जो उन सारी कसौटियोंपर खरे उतरते हैं, जिनकी मैने चर्चा की है। माना कि अभी वे थोड़े हैं, लेकिन उनकी संख्या दिनप्रतिदिन बढ़ती जा रही है। वे अभी ख्यातिसे बहुत दूर हैं। यह अच्छा ही है। यदि वे चाहने लगे कि उन्हें प्रसिद्धि मिले और इज्जतके साथ उनका नाम कांग्रेसके खरीतोंमें लिया जाये तो काम नहीं हो सकेगा। जो लोग 'विक्टोरिया क्रॉस' पाते हैं, वे ही मानवताके सबसे बड़े सेवक नहीं होते। दुनियाके असली बहादुरों और नायकोंके नाम तो कोई आखिरतक भी नहीं जान पायेगा। उनके कार्य अमर होते है। उनके कार्य ही उनके लिए पुरस्कार होते हैं। ऐसे लोग ही दुनियामें सच्चे परिमार्जनकारी होते हैं। उनके बिना दुनिया बुराई और गन्दगीसे इतनी भर जाये कि रहने लायक ही न रहे। मुझे कांग्रेसमें ऐसे स्त्री-पुरुषोंसे मिलनेका सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उनके बिना कांग्रेस ऐसी संस्था नहीं रह जायेगी, जिसका सदस्य बनकर किसीको गर्वका अनुभव हो। बेशक इस समय कांग्रेसके मुख्य पदोंपर कब्जा करने के लिए और कांग्रेसको अपने