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हमारी अस्वच्छता

चौंडे महाराजके प्रयत्नोंका फल है। मुझे आशा है कि बहुत जल्दी ही मैं नकद चन्दा देनेवालोंकी भी सूची प्रकाशित कर सकूँगा। मण्डल अपना काम अच्छी तरह कर सके इसके लिए उसे और अधिक मदद देना ज़रूरी है।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १९–११–१९२५
 

२४६. हमारी अस्वच्छता

अपनी यात्राओंके दौरान मुझे जिस चीजने सबसे ज्यादा दुःखी किया है, वह है हमारी अस्वच्छता। मैंने देखा है कि सारा देश इस रोगका शिकार है। मैं सुधार करनेके लिए जोर-ज़बर्दस्तीके तरीके में विश्वास नहीं रखता, लेकिन जब मैं सोचता हूँ कि जोर-ज़बर्दस्तीके बिना करोड़ों लोगोंके स्वभावमें रमी हुई आदतोंको दूर करने में कितना अधिक समय लगेगा तो जहाँतक अस्वच्छताके इस सबसे महत्त्वपूर्ण प्रश्नका सम्बन्ध है मेरा मन जोर-ज़बर्दस्तीके तरीकेको भी स्वीकार करनेके लिए लगभग तैयार हो जाता है। कई रोगोंका कारण सीधे अस्वच्छतामें ढूँढा जा सकता है। उदाहरणके लिए अंकुशकृमि (हुक वर्म) की बीमारी अस्वच्छतासे ही होती है। जो स्वच्छताके प्राथमिक नियमोंका भी पालन करेगा, उसे यह रोग कभी हो ही नहीं सकता। इस रोगका कारण गरीबी भी नहीं है। इसका एकमात्र कारण स्वच्छताके प्रारम्भिक नियमोंकी अनभिज्ञता है।

मेरे मनमें ये विचार माण्डवीको घिनौनी गन्दगीको देखकर उठें हैं। माण्डवीके लोग गरीब नहीं है। उन्हें अज्ञोंकी श्रेणी में भी नहीं रखा जा सकता। फिर भी, उनकी आदतें इतनी गन्दी है कि उनका वर्णन नहीं किया जा सकता। स्त्रियाँ और पुरुष जिन सड़कोंपर नंगे पैर चलते हैं उन्हींको वे पाखाना करके रोज हर सुबह गन्दा करते हैं। उस बन्दरगाहमें शायद पाखाने है ही नहीं। मैं इन सड़कोंसे जैसे-तैसे ही गुजर पाया था।

मगर मैं बेचारे माण्डवी निवासियोंके साथ ही अन्याय क्यों करूँ? सच तो यह है कि मद्रासकी कई सड़कोंकी हालत मैंने इससे अच्छी नहीं देखी। वयस्क समझदार लोगोंका नदीके किनारोंपर कतार बाँधकर बैठ जाना और फिर पाखाना करके अपराधपूर्ण विचार-हीनताका परिचय देते हुए नदीमें जाकर गन्दगी साफ करना और इस तरह उसके पवित्र जलमें टायफाइड, हैजे और पेचिशके कीटाणु छोड़ आना—यह दृश्य में अभी भूला नहीं हूँ। यही पानी लोग पीते भी हैं। पंजाबमें हम ईश्वरके कानूनको तोड़कर अपनी छतोंको भी इसी तरह गन्दा करते हैं और करोड़ों कीड़ोंको जन्म देनेके भागी बनते हैं। बंगालमें जिस तालाबमें मनुष्य और पशु पानी पीते हैं, उसी में लोग नहाते-घोते हैं और अपने बर्तन साफ करते हैं। लेकिन, इस लज्जाजनक परिस्थितिका अधिक वर्णन करना ठीक नहीं है। परिस्थिति ऐसी है, इसलिए उसे