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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

वनस्पति शास्त्रका अध्ययन अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए। रजवाड़ोंके लिए तो पेड़-पौधे लगाने और उनकी देखभाल तथा रक्षण करने की वृत्तिको प्रोत्साहन देनेसे अच्छा कोई काम ही नहीं है।

अखिल भारतीय देशबन्धु स्मारक

नीचे अखबारों के लिए जारी की गई अखिल भारतीय देशबन्धु स्मारक कोषकी बारहवीं सूची दी जा रही है :

रु॰ आ॰ पा॰
जो रकम प्राप्त हो चुकी है, ६६, ४४३ ६ ६
कच्छ में इकट्ठा की गई रकमका अंश ८, २५० ० ०
७४, ६९३ ६ ६

कच्छमें कुछ और संग्रह हुआ है, लेकिन अभी वह कोषाध्यक्षके पास नहीं पहुँच पाया है। लेकिन, कच्छमें संग्रह की गई राशिका बकाया हिस्सा मिलाकर भी रकम कोई बहुत मोटी नहीं बनती। कार्यकर्त्ताओंको मैं यह स्मरण करा देना चाहता हूँ कि वे चन्दा करने की सरगरमीमें कोई कमी न आने दें। और जिन लोगोंको चन्दा देना हो, उनके लिए भी यह ठीक नहीं है कि वे इस बातकी प्रतीक्षा करते बैठें रहें कि जब मैं उनके प्रान्तके दौरेपर आऊँगा तभी वे चन्दा देंगे। अखिल भारतीय देशबन्धु स्मारक कोषको जनताके उस सच्चे हमदर्द और मित्रकी गरिमा तथा जिस उद्देश्यमें यह कोष लगाया जायेगा उस उद्देश्यके गौरवके योग्य होना चाहिए। अगर हमारे पास पर्याप्त पैसा न हुआ तो खादी कार्यका संगठन सारे भारतमें नहीं किया जा सकेगा। पाठकोंको ध्यान रहे कि इस कोषमें दिये गये एक-एक रुपयेका मतलब है भारतके कमसे-कम आठ-आठ जरूरतमन्द श्रमिकोंको काम देना।

अखिल भारतीय चरखा संघकी परिषद्की पांच दिनोंकी एक बैठक हुई थी। उसमें कोषकी कमीके कारण परिषद्को यह फैसला करना पड़ा कि जबतक पर्याप्त पैसा इकट्ठा नहीं हो जाता तबतक ऋण देनेके लिए नये आवेदन-पत्र न लिये जायें। इसलिए अगर खादी-कार्यका सम्यक् संगठन करना हो तो यह जरूरी है कि खादीप्रेमी लोग चन्दा इकट्ठा करने में कोई विलम्ब न करें।

अखिल भारतीय गोरक्षा-मण्डल

आजतक सदस्योंसे सूतके रूपमें जो चन्दा प्राप्त हुआ है, उसकी निम्नलिखित सूची मन्त्रीने मुझे दी है :[१]

यह सूचि मैं दूसरे लोगोंको भी इस मण्डलके कतैया सदस्य बननेके लिए प्रोत्साहित करनेके उद्देश्यसे प्रकाशित कर रहा हूँ बाईकी सूचि गोर्बधन संस्थाके श्री

 
  1. सूची नहीं दी जा रही है। इसमें बम्बई मध्यप्रदेश (मराठी) गुजरात और महाराष्टके सदस्यों द्वारा भेजे गये सूतकी तफसील दी गई थी। स्वयं गांधीजी और जमनालालजीके नाम भी सूचीमें थे। सूत भेजनेवाले व्यक्तियोंकी संख्या ३० थी, जिसमें से १६ केवल महाराष्ट्रके वाई नामक स्थानसे थे।