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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सुत भेजनेके कर्त्तव्यसे रोजाना नियमपूर्वक कातनेका कर्त्तव्य भिन्न है। और राष्ट्रीय दृष्टिसे इसके आर्थिक पहलूपर विचार किया जाये तो भी यह आवश्यक है कि डाकखर्च बचानेके लिए जितनी भी जल्दी हो सके १२,००० गज सूत कात देना चाहिए। मुझे आशा है कि कुछ समयके बाद यह डाकखर्च बचानेके लिए सूत जमा करनेवाले उपयुक्त केन्द्रोंकी स्थापना की जायेगी।

हजार रुपये का इनाम

गोरक्षाके विषयपर एक पाठ्य पुस्तकका होना आवश्यक पाया गया है। एक अमेरिकी मित्र गोरक्षाके प्रश्नमें बड़ी दिलचस्पी ले रहे है। उन्होंने मुझसे इस विषयकी एक पुस्तक मांगी थी। मुझे ऐसी कोई पुस्तक नहीं मिली जिसमें उन सब बातोंका पूरा-पूरा वर्णन होता जो वे जानना चाहते हैं। इसलिए मैं श्री रेवाशंकर जगजीवनके पास गया और उनसे पूछा कि क्या आप गोरक्षापर निबन्ध लिखनेके लिए भी कोई इनाम निकालेंगे? तो इस विषयपर सबसे उत्तम निबन्धके लेखकको वे कृपापूर्वक एक हजार रुपया इनाम देने के लिए राजी हो गये हैं। शर्त ये हैं : ३१ मार्च १९२६ को या उसके पहले अखिल भारतीय गोरक्षा मण्डलके पास सत्याग्रह श्रम, साबरमतीमें सब निबन्ध पहुँच जाने चाहिए। वह अंग्रेजी, संस्कृत या हिन्दी इनमें से किसी एक भाषामें लिखा जा सकता है। उसमें गोरक्षाका मूल, उसका अर्थ और उसकी उलझनों और फलितार्थोपर विचार किया गया हो, और जो-कुछ कहा जाये उसके समर्थनमें अधिकांश ग्रन्थोंके प्रमाण दिये जाने चाहिए। उसमें शास्त्रोंकी परीक्षा भी करनी चाहिए और यह मालूम करना चाहिए कि गोरक्षामें रुचि रखनेवाली संस्थाएँ यदि डेरी और चर्मालय खोलें, तो उसके लिए शास्त्रोंमें कोई निषेध तो नहीं किया गया है। भारतमें गोरक्षा कार्यका इतिहास भी देना चाहिए और भारतमें समय-समयपर गोरक्षाके लिए किन-किन उपायोंका अवलम्बन किया गया, यह भी दिखाना चाहिए। भारतके चौपायोंकी संख्या दिखाने के लिए उसके आँकड़े देने चाहिए और चरागाहके प्रश्नकी परीक्षा की जानी चाहिए और हिन्दुस्तानमें चरागाहके लिए जमीनके सम्बन्ध में सरकारको नीतिका क्या असर होता है। यह भी लिखना चाहिए कि गोरक्षाके लिए क्या-क्या उपाय करने चाहिए। मैं आचार्य आनन्दशंकर ध्रुव और श्री सी॰ वी॰ वैद्यसे इस लेख प्रतियोगिताके परीक्षक बननेके लिए अनुरोध कर रहा हूँ। इन शर्तोंमें यदि तबदीली करनी आवश्यक मालूम होगी तो इसके प्रकाशित हो जानेपर १५ दिनके भीतर ही वह की जा सकेगी, ताकि जो मित्र गोरक्षाके विषयमें दिलचस्पी ले रहे हैं, उनकी राय भी मुझे अखिल भारतीय गोरक्षा मण्डलके दष्टिकोणसे मालम हो जायेगी और उसका उपयोग भी किया जा सकेगा। यदि १५ दिनके अन्दर शर्तोंमें कोई तबदीलीकी घोषणा न हो तो इन्हीं शर्तोंकी आखिरी शर्त माना जाये।

आगामी कांग्रेस अधिवेशन

आगामी कांग्रेस अधिवेशनकी तैयारियोंके सिलसिले में कानपुरकी असाधारण कठिनाइयोंका अनुभव करना पड़ रहा है, लेकिन सौभाग्यसे कठिनाइयाँ पार भी की