लेकिन यदि यह सम्भव न हो तो आप मुझे लखनऊमें पाँच घंटे व्यस्त न रखें, बल्कि मोटरसे सीतापर पहुँचा दें। मोटर-यात्राकी अपेक्षा रेल-यात्रा में ज्यादा पसन्द करूँगा पर देरतक काम करनेसे तो मोटर-यात्रा करना ही ज्यादा पसन्द करूँगा। मैं इतना ज्यादा कमजोर हो गया हूँ कि शामको ७ बजेतक थककर चूर हो जाता हूँ। जब रातकी सभाओंमें शामिल होता हूँ, तो मुझे जम्हाइयाँ आने लगती है। इस तरह मैंने अपनी हालत और मेरी इच्छा क्या है सो सब बता दिया। अब आप सार्वजनिक हितमें जो भी ठीक समझें, कर सकते हैं। कारण, अब मैं भाषण आदि नहीं देना चाहता। इससे कहीं अच्छा तो यह होगा कि आप मुझसे कताई-प्रदर्शन करने के लिए कहें।
हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी
- अंग्रेजी पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ७७५०) की फोटो-नकलसे।
१७८. पत्र : फूलचन्द शाहको
१२ अक्तूबर, १९२५
तुम्हारा पत्र मिला। १००० रुपयोंके बारेमें चि॰ छगनलालको लिख रहा हूँ। देवचन्दभाईसे कहना, परिषद्-समितिकी[१] बैठकके बारेमें कच्छमें[२] मुझसे बात कर लें।
बापूके आशीर्वाद
- [पुनश्च :] तुम्हारी माताजीको आराम है न?
- गुजराती पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ २८७१) की फोटो-नकलसे।