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भाषण : भागलपुरकी सार्वजनिक सभामें

यदि पाठक पूरी पत्रिका पढ़ जायें तो उन्हें मालूम होगा कि संघ अज्ञान और उदासीनता से उत्पन्न कठिनाइयोंको झेलता हुआ भी काफी अच्छा काम कर रहा हैं। जिन्हें इस विषयमें दिलचस्पी नहीं है, या जिनके पास समय नहीं है उनके लिए ये कुछ-एक चौंका देनेवाले तथ्य नीचे दे रहा हूँ। ३१ मार्च, १९२४ को समाप्त होनेवाले पिछले बारह महीनोंमें कलकत्तामें ९०, ३१४, बांद्रा (बम्बई) में ५८, १५४, अहमदाबादमें १४, १२८ और दिल्ली में २९, ५६५ पशुओंका वध किया गया। यह एक भयंकर आर्थिक क्षति है। मुसलमानों और ईसाइयों या दूसरे लोगोंसे भावनापूर्ण अपील करके इन हत्याओंको नहीं रोका जा सकता। आज भारत-भरमें ऐसे लोग, जिनके हृदयमें प्राणिमात्रके लिए अपार दयाभाव है, किन्तु जो नहीं जानते कि इन प्राणियोंकी रक्षा कैसे की जाये, गोरक्षाके नामपर न जाने कितना धन बर्बाद कर रहे हैं। अगर उस धनका उपयोग किया जाये तो गायोंको अवश्य बचाया जा सकता है। मेरा निश्चित मत है कि पशुओंको इस मनमानी हत्याके व्यापारसे बचानेका एकमात्र उपाय दुग्धशालाओं और चमड़ा कमानेके कारखानोंकी स्थापना है, लेकिन उनकी स्थापना आर्थिक लाभके लिए नहीं, बल्कि पशुओंके प्राणोंकी रक्षाके लिए की जाये। ऐसी धार्मिक भावना, जिसमें आर्थिक जीवनकी कठोर वास्तविकताओंका कोई खयाल नहीं किया जाता या जिसका आधार पूर्वग्रह है, बिलकुल बेकार, बल्कि इससे भी बदतर है। किन्त, जहाँ धार्मिक भावनाके साथ विवेक और व्यवहार-बुद्धि भी हो, वहाँ कोई उसके आड़े नहीं आ सकता। अगर पशुजीवनकी रक्षा करनी हो तो ऐसी स्थिति उत्पन्न करनी होगी। जिसमें पशुजीवनका नाश करना आर्थिक दृष्टिसे सचमुच बहुत हानिकर साबित होने लगे। जबतक पशुओंकी हत्या करना आर्थिक दृष्टिसे लाभदायक बना रहेगा, जैसा कि आज भारतमें है, तबतक किसी भी तरहकी धार्मिक भावना उसकी रक्षा नहीं कर पायेगी।

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, १–१०–१९२५
 

१५६. भाषण : भागलपुरकी सार्वजनिक सभामें[१]

१ अक्तूबर, १९२५

अध्यक्ष महोदय, मेरे हिन्दू और मुसलमान भाइयो,

आपने जो अभिनन्दन-पत्र मुझे दिये हैं, उनके लिए मैं आपका आभारी हूँ। मैं आपको बताना चाहता हूँ कि यहाँ आनेका मौका पाकर मैं बहुत खुश हूँ।

पिछली बार चार-पाँच साल पहले मैं यहाँ आया था; उस अवसरकी मुझे अच्छी तरह याद है। तबकी और अबकी स्थितिमें मुझे क्या अन्तर दिखाई दे रहा है? आपने एक मानपत्रमें हिन्दू-मुस्लिम समस्याका उल्लेख किया है। मैं अपने हिन्दू

 
  1. भागलपुरकी नगरपालिकाका और बोर्ड द्वारा दिए गये अभिनन्दन-पत्रोंका गांधीजीने हिंदीमें उतर दिया था। भाषणका हिंदी विवरण उपलब्ध नहीं है।