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भाषण : पटनाकी सार्वजनिक सभामें

प्रसन्न हूँ, और यही चाहता हूँ कि आपका यह प्रयत्न सफल हो। आशा है अ॰ भा॰ कां॰ कमेटीके प्रस्ताव तथा अखिल भारतीय चरखा संघका संविधान आपको पसन्द आये होंगे। आशा है आप स्वस्थ है। सम्बलपुरसे प्राप्त प्रस्ताव[१] साथ भेज रहा हूँ।

हृदयसे आपका,
मो॰ क॰ गांधी

अंग्रेजी पत्र (सी॰ डब्ल्यू॰ ७७४७) से।
सौजन्य : राधानाथ रथ
 

१४६. पत्र : न॰ चि॰ केलकरको

पटना
२९ सितम्बर, १९२५

प्रिय श्री केलकर,

श्री नन्जप्पाके मुकदमेके सम्बन्धमें सरकारी आदेशकी एक प्रति मुझे मिल गई है। आपकी रायमें हमें अब क्या करना चाहिए?

हृदयसे आपका,

अंग्रेजी प्रति (सी॰ डब्ल्यू॰ ३११६) की फोटो-नकलसे।

 

१४७. भाषण : पटनाकी सार्वजनिक सभामें[२]

२९ सितम्बर, १९२५

महात्मा गांधीने उत्तर देते हुए कहा कि मैं मानपत्रकी भेंटके लिए आपका आभारी हूँ। मैं यहाँ आपके बीच पहली बार नहीं आया हूँ। पिछली बार जब हम मिले थे तबसे अब चार साल बीत चुके हैं, लेकिन मुझे उसका अच्छी तरह स्मरण है। यह सच है कि मैं और आप वही है, लेकिन तबसे अबतक जमाना बहुत बदल गया है। हमारे वातावरण और हमारे दृष्टिकोणमें जो परिवर्तन हुआ है उसके सम्बन्धमें कुछ कहने की जरूरत नहीं है। आपसे मिलकर मुझे प्रसन्नता हुई है। नागरिक होने के नाते हमारे क्या कर्तव्य है और हमारे सामने नागरिक जीवनको क्या समस्याएँ

 
  1. यहाँ उद्धृत नहीं किया जा रहा है। इस प्रस्तावमें गांधीजीसे उत्कल प्रान्तीय कांग्रेस कमेटी और सम्बलपुर कांग्रेस कमेटीके झगड़ेका निर्णय करनेका अनुरोध किया गया था।
  2. पटना नगरपालिका द्वारा आयोजित इस सभामें नगरपालिकाकी ओरसे गांधीजीको एक मानपत्र भेंट किया गया था।