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भाषण : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीकी बैठक में

रहा हूँ। डाह्याभाईके बारेमें यदि वल्लभभाई निश्चित करें तो मैं तुरन्त आगे बात चलाऊँगा।

गुजराती पत्र (एस॰ एन॰ ११४५१) की फोटो-नकलसे।

 

११७. भाषण : पटनामें

२१ सितम्बर, १९२५

कहते हैं अनौपचारिक बैठकमें लोगोंने महात्मा गांधीसे तरह-तरहके अटपटे सवाल किये। कुछ लोगोंका सुझाव था कि सूत कातनेवालोंको कांग्रेसका सदस्य नहीं माना जाना चाहिए।

महात्माजीने उत्तर दिया कि कातनेवाले सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण देशसेवा कर रहे है और इसलिए कांग्रेसपर उन्हें भी उतना ही अधिकार है जितना अधिकार पैसेके रूपमें शुल्क देनेवालोंको।

क्या कोई पेशेवर कतैया कांग्रेसका सदस्य माना जा सकता है? इस प्रश्नका उत्तर देते हुए महात्माजीने कहा, नहीं : जबतक कोई व्यक्ति कांग्रेसके सिद्धान्तोंको अंगीकार नहीं करता तबतक वह कांग्रेसका सदस्य नहीं बन सकता।

राजनैतिक कारणोंसे क्षति उठानेवालोंके परिवारोंकी सहायताके लिए कोष स्थापित करने के सुझावपर महात्मा गांधीने कहा कि फिलहाल इसपर अमल नहीं किया जा सकता।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दुस्तान टाइम्स, २३–९–१९२५
 

११८. भाषण : अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटीको बैठकमें[१]

२२ सितम्बर, १९२५

महात्मा गांधीने कार्रवाईका शुभारम्भ करते हुए कहा कि मेरे कन्धोंपर एक बहुत भारी दायित्व है; हम कांग्रेस संविधानकी एक महत्त्वपूर्ण धाराका संशोधन करने जा रहे हैं।[२] अ॰ भा॰ कां॰ कमेटी अपने संविधान में संशोधन कर सकती है या नहीं इस प्रश्नपर में कोई निर्णय नहीं देना चाहता। मैं चाहता हूँ कि स्वयं सदस्य इस विषयमें अन्तिम निर्णय करें। मैं अपना निर्णय केवल कार्य-विधि सम्बन्धी प्रश्नों

 
  1. अ॰ भा॰ कां॰ कमेटीकी यह बैठक पटनामें दोपहरको गांधीजीकी अध्यक्षतामें हुई थी; इसमें लगभग एक सौ सदस्योंने भाग लिया था।
  2. देखिए परिशिष्ट २।