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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय


चारों ओर हिंसासे घिरे और जलते हुए इस जगत् में विचरनेवाले जिस महापुरुषने अहिंसा-रूपी धर्म उत्पन्न किया, उसको मेरा साष्टांग प्रणाम है।

चींटीको भी बचाकर चलना यह हमारा सहज धर्म है। जो मनष्य ऊँचा सिर करके बिना विचारे, बिना देखे, अपने घमण्डमें मस्त चला जाता है और अपने पैरोंके नीचे कुचले जानेवाले असंख्य जीवोंका कोई ध्यान नहीं रखता वह, तो जानबूझकर अनावश्यक पापकर्म करता है और अपने हाथों अपने लिए नरकका द्वार खोलता है। उसकी तुलना किसानसे, जो कि उसके मुकाबलेमें निर्दोष माना जाना चाहिए, हो ही नहीं सकती। खेती करनेवाले असंख्य किसान चलते हुए पैनी नजरसे चींटी आदि प्राणियोंको बचाते हैं। उनमें गर्व नहीं होता। वे नम्र है। वे जगत् के पालनेवाले है। दुनियाका नव-दशांश भाग खेती करता है। उसी में श्रेय है। खेती आवश्यक और शुद्ध यज्ञ है। श्रेष्ठ धर्मवान इस धन्धेको अपना सकता है। यदि वह दूसरे अनावश्यक धन्धोंको छोड़कर खेती करे तो इसमें पुण्य है।

बैलको आर लगाने की बात बिना विचारे लिखी गई है। सब किसान बैलको आर नहीं मारते। कितने ही किसान बैल इत्यादि अपने पशुओंको अपने कुटुम्बकी तरह मानते हैं और प्रेम-भावसे उनका पालन-पोषण करते हैं।

[गुजरातीसे]
नवजीवन, २०–९–१९२५
 

११५. ईश्वर-भजन

"ईश्वर-भजन, प्रार्थना किस तरह और किसकी करें यह समझमें नहीं आता और आप तो बार-बार लिखते हैं प्रार्थना करो, प्रार्थना करो। सो समझाइए कि कैसे?"

एक सज्जन ऐसा पूछते हैं। ईश्वर-भजनका अर्थ है उसके गुणका गान; प्रार्थनाका अर्थ है अपनी अयोग्यताकी, अपनी अशक्तिकी स्वीकृति। ईश्वरके सहस्र अर्थात् अनेक नाम है। अथवा यों कहिये कि वह नामहीन है। जो नाम हमको अच्छा मालूम हो उसी नामसे हम ईश्वरको भजें, उसकी प्रार्थना करें। कोई उसे रामके नामसे पहचानते है तो कोई कृष्णके नामसे; कोई उसे रहीम कहते हैं तो कोई गॉड। ये सभी एक ही चैतन्यको भजते हैं। परन्तु जिस प्रकार एक ही तरहका भोजन सबको नहीं रुचता उसी तरह एक नाम भी सबको नहीं रुचता। जिसका जिससे सम्पर्क होता है उसी नामसे वह ईश्वरको पहचानता है और यह अन्तर्यामी, सर्वशक्तिमान होने के कारण हमारे हृदयके भावको पहचान कर हमारी योग्यताके अनुसार हमारी सुनता है।

अर्थात् प्रार्थना या भजन जीभसे नहीं वरन् हृदयसे होता है। इसीसे गूँगे, तोतले, मूढ़ भी प्रार्थना कर सकते हैं। जीभपर अमृत और हृदयमें हलाहल हो तो जीभका अमृत किस कामका? कागजके गुलाबसे सुगन्ध कैसे निकल सकती है? इस-