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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

स्वयं न जाऊँ तो भी वह विश्वमें फैले बिना न रहेगा। जो हो, इस समय तो मुझे अपने सामने प्रकाश नहीं दिखाई दे रहा है। मुझे धीरजके साथ यहीं भारतमें ही धीरेधीरे अपना रास्ता बनाना होगा—तबतक, जबतक कि मुझे भारतकी सीमाके बाहरके लिए रास्ता साफ न दिखाई दे।

निमन्त्रणका आग्रह करने के बाद उन अमेरिकी मित्रने मेरे विचारार्थ अनेक प्रश्न भेजे हैं। मैं उनका स्वागत करता हूँ और उनका उत्तर खुशीके साथ यहाँ देता हूँ। वे कहते हैं :

आप यहाँ पधारनेका निश्चय चाहे आज या आगे कभी करें या न आनेका निश्चय करें, मुझे विश्वास है कि आप नीचे लिखे प्रश्नोंको अपने विचारके योग्य समझेंगे। वे मेरे दिमागमें बहुत समयसे घूम रहे हैं।

उनका पहला प्रश्न यह है :

क्या वह समय आ गया है—या आ रहा है—जबकि आप भारतकी सबसे अच्छी सहायता दुनिया और खासकरके इंग्लैंड और अमेरिकामें एक नई चेतनाका प्रादुर्भाव करके कर सकेंगे?

इस प्रश्नका उत्तर आंशिक रूपसे ऊपर आ ही चुका है। मेरी रायमें अभी वह समय नहीं आया है_अलबत्ता, किसी भी दिन आ सकता है जब मैं भारतके बाहर जाऊँ और सारी दुनियामें नई चेतना जगाऊँ। वैसे यह प्रक्रिया इस समय भी प्रत्यक्ष और अज्ञात रूपसे धीरे-धीरे चल रही है।

क्या सारी मानवजातिके वर्तमान हित सब जगह आपसमें इतने गुंथे हुए नहीं है कि भारतवर्ष या कोई भी देश दूसरे देशोंके साथ अपने वर्तमान सम्बन्धोंसे ज्यादा दूरतक नहीं हट सकता?

मै लेखककी इस बातको मानता हूँ कि कोई भी देश बहुत समयतक दुनियासे अलग-थलग नहीं रह सकता। भारतकी स्वराज्य प्राप्त करनेकी वर्तमान योजना सबसे अलग हो जाने की योजना नहीं है, बल्कि सारे विश्वके लाभके लिए पूर्ण आत्मोपलब्धि और आत्माभिव्यक्तिकी योजना है। भारतकी वर्तमान गुलामी और असहाय अवस्थासे केवल भारतको ही नहीं, केवल इंग्लैंड को ही नहीं, बल्कि सारी दुनियाको चोट पहुँच रही है।

क्या आपका सन्देश और आपके साधन तत्त्वतः सारे विश्वके लिए नहीं हैं? क्या वह ऐसा विश्वोपयोगी सत्य नहीं है जो अनेक देशोंके यत्र-तत्र बिखरे सहृदय जनोंके हृदयोंमें प्रवेश करके शक्ति संचय करेगा और फिर वे लोग उसके द्वारा धीरेधीरे संसारको काया-पलट कर देंगे?

यदि मैं यह बात बिना अहंकारके और नम्रतापूर्वक कह सकू तो, मेरा सन्देश और मेरे साधन अपने सहज रूपमें अवश्य ही सारी दुनियाके लिए हैं और इससे प्रभावित होनेवाले पश्चिमके नर-नारियोंकी दिनोंदिन बढ़ती संख्याको देखकर मुझे गहरा सन्तोष होता है।