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९०. टिप्पणियाँ
प्रशंसनीय काम

अहमदाबादका मजदूर-संघ श्रीमती अनसूया बाईकी स्नेहपूर्ण देखरेख में चुपचाप और बड़ी कुशलताके साथ अत्यन्त प्रशंसनीय कार्य कर रहा है। इस समय मेरे सामने उसके इस कार्यको संक्षिप्त नपी-तुली रिपोर्ट है। इस रिपोर्टका सम्बन्ध मजदूरोंके बीच किये जा रहे शिक्षाकार्यसे है।

१९२४ में दिनमें चलनेवाले ८ स्कूल थे। आज ९ है। उनमें दो सब जातियोंके लड़कोंके लिए है, छः अछूतोंके लिए और एक मुसलमानोंके लिए है। १९२४ में ११ रात्रि-पाठशालाएँ थीं। आज १५ हैं। इनमें १ सबके लिए, ८ अछूतोंके लिए, ५ मुसलमानोंके लिए और १ वाघरियोंके लिए है। १९२४ में १,११९ विद्यार्थी थे, जिनमें प्रतिदिन औसतन ९७९४ विद्यार्थी शालाओंमें उपस्थित रहे। उनमें ६९२ अछूत, २२१ सवर्ण और २०६ मुसलमान थे। सालके शुरूमें १,१६६ विद्यार्थी थे, जिनमें से ७९८ अछूत, २१९ सवर्ण और १६९ मुसलमान तथा ६० वाघरी थे। प्रतिदिन औसतन ९०७.९२ विद्यार्थी शालाओं में उपस्थित रहे। इस समय १,२८५ विद्यार्थी हैं।

साधारण प्राथमिक पाठशालाओं में जो विषय पढ़ाये जाते हैं, वे सब तो लड़के और लड़कियाँ यहाँ पढ़ती ही है, पर साथ ही सूत भी कातती है। व्यवस्थापकोंने शुरूमें चरखे चलवानेका प्रयत्न भी किया था किन्तु इतने अधिक छात्रों और छात्राओंके बीच चरखे बहुत ही खर्चीले और असुविधाजनक पाये गये, क्योंकि उनके लिए बहुत जगह दरकार होती थी। इसलिए उन्होंने तकली शुरू कराई, जिसे हर विद्यार्थी अपने पास रख सकता है। सैकड़ों लड़कों और लड़कियोंको एकसाथ सूत कातते हुए देखकर बड़ा अच्छा लगा। उनकी कताईका औसत फी घंटा ३० से ४० गज है। अबतक वे २ मन ८ सेर अच्छा सूत कात चुके हैं।

एक ऐसी पाठशाला भी है, जिसमें १६ अछूत लड़के रहते भी है और पढ़ते भी हैं। इनमें से छः लड़के पाँच-पाँच रुपये के हिसाबसे खाने-पीनेका खर्च अदा करते है। बाकी निःशुल्क रहते हैं। वे धुनना, कातना और बुनना सीखते हैं। १९२४ में उन्होंने सवा मन सूत काता और १२५ गज खादी बुनी। १९२४ में ६६ शिक्षक थे; आज ७७ हैं। कुल खर्च रु॰ २२,२५४-८-४ बैठा, जिसमें से १,२५० रुपये प्रतिमासके हिसाबसे मिल-मालिक-संघकी तरफसे दिये गये। यह रकम तिलक स्वराज्यकोषकी उस राशिके ब्याजका एक हिस्सा है, जो मिल-मालिक संघके सदस्योंकी ओरसे दी गई है, और जिसको मजदूरोंके कल्याणके लिए सुरक्षित रखा गया है। प्रति मास ६० रुपयका अनुदान श्री ब्रजवल्लभदास जयकिसनदाससे प्राप्त हुआ। शेष रकम मजदूर संघने जुटाई। जिस स्कूल में छात्रोंके रहने-पढ़ने दोनोंकी व्यवस्था है, उसका खर्च प्रान्तीय कांग्रेस कमेटीकी तरफसे दिया गया।