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मेरा धर्म

महात्मा गांधीने आगे कहा कि श्री सेनगुप्तने वादा किया है कि जबतक वे मेयरके पदपर रहेंगे तबतक वे अपने राजनीतिक विचारोंका उपयोग नहीं करेंगे। अब बताइए इस पदके लिए एक प्रशिक्षित वकीलकी अपेक्षा और कौन व्यक्ति बेहतर हो सकता है? उन्होंने स्वर्गीय सर फीरोजशाह मेहताका उल्लेख करते हुए कहा कि सर फीरोजशाह मेहता बम्बई निगमके मेयर थे तथा अपने दलके नेता भी थे।

जिस श्रेष्ठताके साथ उन्होंने बम्बई नगरपालिकाको चलाया वैसे कोई भी नहीं चला पाया। स्वराज्यवादी दलने भारतमें अनुसरित किसी भी सिद्धान्तका उल्लंघन नहीं किया है।

[अंग्रेजीसे]
अमृतबाजार पत्रिका,२५-७-१९२५
 

२६५. मेरा धर्म

इस संसारमें केवल परमात्मा ही अविचल और निर्विकार है। अन्य सब वस्तुओंकी उन्नति अथवा अवनति होती है। जो संस्था परिवर्तनकी आवश्यकता होनेपर भी बदलती नहीं है, समझना चाहिए कि उसका अन्त निकट आ रहा है। कांग्रेस तो अभी अपनी बाल्यावस्थामें है। अभी उसे बहुत ऊँचा उठना है, इसलिए उसमें परिवर्तन तो होते ही रहेंगे। इसके संविधानमें जो दोष दिखाई दिये हैं वे दूर किये जाने चाहिए।

इसके अतिरिक्त देशबन्धुके निधनसे और लॉर्ड बर्कनहेडके भाषणसे स्थिति ऐसी उत्पन्न हो गई है कि कांग्रेसके संविधानमें उचित परिवर्तन तो अविलम्ब कर दिये जाने चाहिए।

मैं बेलगाँवके अधिवेशनके बाद देख रहा हूँ कि मताधिकारकी धारामें परिवर्तन करनेकी माँग लगातार की जा रही है।[१] मैं यह भी देख रहा हूँ कि शिक्षित वर्ग मेरी कार्य-पद्धतिसे असन्तुष्ट रहता है। बहुत-से शिक्षित लोग चाहते हैं कि कांग्रेस कमेटियोंको राजनैतिक अर्थात् विधानसभाओंसे सम्बन्धित मामलोंमें भाग लेना चाहिए।

मैं इनमें से किसी भी माँगके आड़े नहीं आना चाहता। इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं स्वयं इन परिवर्तनोंको करवाना चाहता हूँ। किन्तु मैं लोकमतको समझने, मानने और उसका मान करनेवाला हूँ। किन्तु जब मुझे लोकमत अनुचित लगता है तब मैं स्वयं जोखिम उठाकर——लोगोंको जोखिममें डाल कर नहीं——उसका विरोध करना अपना धर्म भी मानता हूँ। इस समय तो मेरे सम्मुख विरोध करनेका कोई कारण नहीं है। कांग्रेसके लोकमतका अर्थ है शिक्षितवर्गका मत। कांग्रेस शिक्षितवर्गकी

  1. दिसम्बर १९२४ में हुए अधिवेशनमें कांग्रेसकी सदस्यताके लिए सूत कातना अनिवार्य कर दिया गया था।