पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 27.pdf/३१४

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
२८२
सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

खयाल ठीक था। उन बहुमूल्य पाँच दिनोंमें मैंने उनके प्रत्येक कार्यमें गहरी धर्मभावना देखी। वे न केवल महान् थे, बल्कि नेक भी थे, उनकी नेकी उत्तरोत्तर बढ़ती जा रही थी। पर इन पाँच दिनोंके अनमोल अनुभवोंको मुझे किसी अगले दिनके लिए रख छोड़ना चाहिए। क्रूर दैवने जब लोकमान्यको हमसे छीना था, तब मैं अकेला और असहाय रह गया था। मेरी वह चोट अभीतक नहीं भर पाई है——क्योंकि मैं आज भी उनके प्रिय शिष्योंकी कृपाका आकांक्षी हूँ। पर देशबन्धुके वियोगने तो मुझे और भी शोचनीय अवस्थामें छोड़ दिया है। जब लोकमान्य हमसे जुदा हुए थे तब देश आशा [और उमंग] से भरा हुआ था; हिन्दू और मुसलमान हमेशाके लिए एक होते हुए दिखाई दे रहे थे; हम युद्धका शंख फूँकनेकी तैयारीमें थे। पर अब?

[अंग्रेजीसे]
यंग इंडिया, २५-६-१९२५
 

१६६. संरक्षणकी आवश्यकता

देखा तो यही गया है कि आजतक कोई भी बड़ा धन्धा संरक्षण या सहायताके बिना नहीं चल सका है। सहायता तीन प्रकारसे मिल सकती है। राज्यसे, समाजसे अथवा किसी व्यक्तिसे। धनी लोग जब स्वयं रुपया कमानेकी इच्छासे किसी भी नये धन्धेमें अपनी पूँजी लगाते हैं तो वे प्रारम्भमें ही मुनाफा मिलनेकी आशा नहीं रखते। इसी तरह समाजके लाभके लिए आरम्भ किए जानेवाले धन्धेमें समाजको पहले आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। जहाँ राज्यतन्त्र सुव्यवस्थित और लोकोपयोगी होता है वहाँ राज्य धन्धोंकी सँभाल आर्थिक सहायता देकर करता है।

खादीका कार्य किसी एक व्यक्तिके लाभका कार्य नहीं है; इसलिए उसको कोई एक व्यक्ति संरक्षण नहीं दे सकता। यदि उसे एक व्यक्ति संरक्षण दे भी तो वह एक निश्चित सीमासे आगे व्यर्थ सिद्ध होगा, क्योंकि खादी-प्रचार केवल धनसे ही नहीं किया जा सकता। यदि हमें ऐसे व्यापक हितके कार्यमें राज्यकी उत्साहपूर्ण और पर्याप्त सहायता मिल सके तो फिर कमी हो क्या रहे? वह तो राज्यका हृदय-परिवर्तन माना जाएगा और हम उससे प्रेमपूर्वक सहयोग करेंगे।

बाकी रही सामाजिक सहायता। इस सहायताके अभावमें जल्दी ही खादीका व्यापक प्रचार नहीं हो सकता। हम अभी तीन प्रकारसे सहायता ले रहे हैं और उसमें हमारा उद्देश्य खादीको सस्ता और अच्छा बनाना है।

सबसे पहले तो हम धनिक वर्गसे धनकी सहायताके बलपर खादीके दाम कुछ कम करते हैं। दूसरे हम कताई-सदस्यताकी मारफत सहायता लेते हैं। मताधिकारमें कताईको सम्मिलित करनेके उद्देश्योंमें से एक मुख्य उद्देश्य यह है कि लोग सूत कातनेमें अपना आधा घंटेका श्रम मुफ्त देकर खादीके दाम सस्ता करने और खादीको अच्छा बनानेमें सहायता दें। तीसरी सहायता खादी-शास्त्रके ज्ञाताओंकी संख्या बढ़ानेके रूपमें है।