श्री गांधीने अभिनन्दन-पत्रोंका उत्तर देते हुए कहा कि जो अभिनन्दन-पत्र मुझे भेंट किये गये हैं उनके लिए मैं आप लोगोंको धन्यवाद देता हूँ। मुझे यह सुनकर दुःख हुआ कि श्रीयुत सत्येन्द्र मित्र यहाँ उपस्थित नहीं हैं, मांडलेकी जेल में हैं। आशा है कि श्री मित्र थोड़े ही दिनों में वापस आ जायेंगे। हिन्दू-मुस्लिम एकताके बारेमें बोलते हुए उन्होंने कहा कि चूंकि अली बन्धुओंमें से एक भी यहाँ मौजूद नहीं है, इसलिए मेरी जिम्मेदारी दुगुनी हो गई है। वे अपने काममें व्यस्त हैं। मैंने तो सुना था कि आप लोगोंमें कोई अनबन नहीं है, लेकिन यहाँ मुझे वह नजर आ रही है। दोनों में से एक भी जाति मेरी सलाह माननेको तैयार नहीं है। मुझे जब कभी ऐसा प्रतीत हुआ है कि दोनों जातियों में अनबन है तब मैंने उसके लिए दोनोंको ही जिम्मेदार माना है। यदि दोनों एकताके लिए कृतसंकल्प हों तो संसारको कोई भी शक्ति उन्हें अलग नहीं कर सकती और यदि दोनों समाज अपने-अपने मन साफ नहीं कर लेते तो इसका उत्तरदायित्व दोनोंपर ही होगा। अभीतक ये दोनों जातियाँ, मेल- मिलापसे रहती आई हैं।
अस्पृश्यताका उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि जबतक छुआछूत कायम रहेगी तबतक भारतका प्रगति कर सकना असम्भव है। मैं सनातनी हिन्दू हूँ और कहता हूँ कि हिन्दूधर्म अस्पृश्यता जैसी कोई चीज नहीं है। अछूत वर्गके उद्धारके लिए आपके द्वारा किये गये प्रयत्नोंके लिए आपको मैं धन्यवाद देता हूँ, लेकिन मुझे बताया गया है कि कुछ ब्राह्मण आपके रास्तेमें रोड़े डाल रहे हैं। लेकिन मुझे विश्वास है कि आप लोग अस्पृश्यता निवारणके लिए दृढ़तापूर्वक कार्य करेंगे। मुझे आशा है कि नवाखलीके निवासी अस्पृश्यताको पूर्ण रूपसे मिटा देनेका यथासम्भव प्रयत्न करेंगे। मैं यह भी आशा करता हूँ कि आप लोग यह बात धोवियोंको समझा दें।
भाषण समाप्त करते हुए गांधीजीने कहा कि आप जानते हैं कि देशके बहुत-से लोगोंके पास सालमें चार महीने कुछ काम नहीं रहता है और इसके परिणामस्वरूप वे और भी गरीब होते जा रहे हैं। संसारके सभी देशोंमें किसान लोग खेतोके साथ- साथ और भी काम किया करते हैं। हिन्दुस्तानमें इस दृष्टिसे चरखे-जैसा दूसरा कोई उद्योग नहीं है। इसीलिए मैं चरखेको 'अन्नपूर्णा' कहता हूँ। खेतोंसे आप चावल पा सकते हैं, लेकिन अपनी हालत आप केवल चरखे द्वारा ही बेहतर कर सकते हैं।
१. कचहरीके अहातेमें आयोजित सभामें गांधीजीको चार अभिनन्दन-पत्र भेंट किये गये थे। सभामें २५,००० से अधिक लोग आये थे, जिनमें मुसलमान ही अधिक थे।