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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

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गुरुदेवको मेरी याद दिलाना। मैं आशा करता हूँ कि वे प्रसन्न हैं। बड़ो दादाके पत्र आते रहते हैं।

अंग्रेजी पत्र (जी० एन० २६३८) की फोटो-नकलसे।

२७. पत्र : सी० एफ० एन्ड्रयूजको

२५अगस्त, १९२४

प्रिय चार्ली,

श्री ओल्डहमकी लिखी क्रिश्चियनिटी ऐंड द रेस प्रॉब्लम[१] तुमने देखी है क्या? कैसी है? के० टी० पॉलका बड़ा आग्रह है कि मैं इसे प्राप्त करूँ और पढूँ। यदि तुम भी ऐसा चाहते हो तो मेरे लिए एक प्रति कहींसे प्राप्त करो।

बर्मापर तुम्हारा लेख मैंने पढ़ा। स्थिति बहुत आघात पहुँचानेवाली है, पर तुमने इसे जल्दीमें लिखा है। मैं समझता हूँ कि तुमने वहाँ इतना ज्यादा देखा है कि तुम्हारे लिए उसका ठीक-ठीक विश्लेषण करना और उसके कारणोंका पता लगाना कठिन सिद्ध हुआ। इसके सिवा जल्दी-जल्दी सारी दुनियाका चक्कर लगा आनेवालोंकी टीका करते हुए हम जो कहते हैं, वही तुमने किया लगता है। क्या तुम कुछ समय सन्तोषके साथ आराम करने में नहीं बिताना चाहोगे? कर्म प्रार्थना है, पर यह पागलपन भी हो सकता है। बर्माके सम्बन्धमें जब तुमने लेख लिखा था, ऐसा लगता है उस समय तुम्हारा मन बहुत क्षुब्ध था। फिर भी मैं इसे प्रकाशित कर रहा हूँ, क्योंकि यह तुम्हारे पवित्र हृदयका उद्गार है। हाँ, इतना जरूर कहूँगा कि कोई काम पूरी तैयारीके बिना न किया करो।

अगाध स्नेहके साथ,

तुम्हारा,
मोहन

अंग्रेजी पत्र (जी० एन० २६१२) की फोटो-नकलसे।

  1. १. २८ अगस्त, १९२४ के यंग इंडियामें "बर्मा में भारतीय मजदूर" शीर्षकसे प्रकाशित लेखमें मजदूरोंकी भरती करनेवाले ठेकेदारों द्वारा भारतीय मजदूरों के शोषण और उनपर किये जा रहे अन्यायपूर्ण अत्याचारोंका तथा स्त्रियोंकी दयनीय दशा और जदाजोंमें होनेवाली बेशुमार भीड़का वर्णन था।