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३५०. मेरा पथ

यूरोप और अमेरिकामें आजकल मेरे प्रति लोगोंका ध्यान खिंच रहा है। यह मेरे लिए सौभाग्य और दुर्भाग्य दोनों ही हैं। सौभाग्य तो इसलिए है कि पश्चिममें भी लोग मेरे सन्देशपर विचार कर रहे हैं और उसे समझ रहे हैं। मेरा दुर्भाग्य यह है कि कोई तो अनजानमें उसकी महत्ता ज्यादा बढ़ा देते हैं और कोई जान-बूझकर उसका रूप विकृत कर देते हैं। हर सत्य अपने-आप प्रभावकारी होता है; उसमें अपना सहज बल होता है। इसलिए जब मैं देखता हूँ कि लोग मेरे सन्देशको गलत रूपमें पेश कर रहे हैं तब भी मैं विचलित नहीं होता। एक यूरोपीय मित्रने कृपापूर्वक मुझे जो चेतावनी भेजी है, उससे मालूम होता है कि यदि उन्हें मिली जानकारी सही है तो बुरी नीयतसे हो अथवा भूलसे हो, रूसमें मेरे मतके विषयमें बड़ी गलतफहमी फैली हुई है। यह है उनके पत्रका एक हिस्सा:

कहा जाता है कि बर्लिन स्थित रूसी राज्य-प्रतिनिधि केसेटिन्स्कीको विदेश मंत्रीकी ओरसे कहा जायेगा कि वे अपनी सरकारकी ओरसे गांधीका स्वागत करें और इस स्थितिसे फायदा उठाकर गांधीके अनुयायियोंमें बोलशेविक मतका प्रचार करनेका उद्योग करें। इसके सिवा केसटिन्स्कीको यह काम भी दिया जायेगा कि वे गांधीको रूसमें आनेके लिए निमन्त्रण दें। एशियाकी दलित-पीड़ित जातियोंमें बोलशेविक साहित्यके प्रचारके लिए धन खर्च करनेका भी उन्हें अधिकार दिया गया है। ओरिएन्टल क्लब तथा उनके कार्यालयके लिए गांधीजीके नामपर उन्हें एक बड़ी रकम मुहैया की जायेगी जिसमें से उनके (गांधीजीके या मास्कोवालोंके?) मतको माननेवाले विद्यार्थियों को सहायता दी जायेगी। अन्तमें, इसमें तीन हिन्दू भरती किये जायेंगे। यह सारी चीज रूसी समाचार-पत्रोंमें, उदाहरणके लिए, १८ अक्तूबरके 'रूल' नामक पत्रमें प्रकाशित हुई है।

इस मजमूनसे उस खबरका कुछ रहस्य मिल जाता है जिसमें मेरे जर्मनी और रूस जानेके लिए आमन्त्रित किये जाने की सम्भावना बताई गई थी। यह कहने की तो जरूरत ही नहीं है कि न तो मुझे ऐसा कोई निमन्त्रण ही मिला है और न इन महान् देशोंमें जानेकी मेरी कोई इच्छा ही है। क्योंकि मैं जानता हूँ कि मेरे प्रतिपादित सत्यको अभी खुद भारतवर्षने भी पूरे तौरसे ग्रहण नहीं किया है और वह अभी यथेष्ट रूपमें प्रस्थापित भी नहीं हो पाया है भारतमें जो काम मैं कर रहा हूँ, वह अभी प्रयोगावस्थामें ही है। ऐसी हालतमें मेरे लिए विदेशों में जाकर कोई साहसिक कार्य करनेका समय अभी नहीं आया है। यदि भारतमें ही यह प्रयोग प्रत्यक्ष रूपमें सफल हो जाये तो मैं पूर्ण रूपसे सन्तुष्ट हो जाऊँगा।