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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय

सराहना रहेगी। अगर यहाँ हमारे सार्वजनिक जीवनमें कई रुस्तमजी होते तो हमें अपने वांछित लक्ष्यको प्राप्त करनेमें देर नहीं लगती। परमात्मा उनकी आत्माको शान्ति प्रदान करे और उनके दोनों पुत्रोंको बुद्धि और शक्ति दे कि वे अपने नेक पिताके चरण-चिह्नोंपर चल सकें।

अन्धविश्वासपूर्ण रिवाज

हालमें प्राप्त एक पत्रके कुछ अंश मैं नीचे दे रहा हूँ, जिन्हें पढ़कर पाठकों को भी वैसा ही दुःख होगा जैसा मुझे हुआ है।

"मैं यहाँ वन्य प्रान्तके बीचों-बीच बसे गाँवोंमें हूँ जहाँ कुल संख्यामें से ९० प्रतिशत गोंड रहते हैं। दौरा करते हुए मैं सिलागोटा नामक गाँवमें पहुँचा। यह गाँव मध्य प्रान्तके छत्तीसगढ़ खण्डमें खैरागढ़ राज्यको डोंगरगढ़ तहसीलमें है। पिछले रविवारको यहाँ आसपासके गाँवसे लोग काफी बड़ी संख्या में इकट्ठे हुए। इनमें से बहुत-से लोग शायद १५ मीलसे अधिक दूरसे आये थे। मैंने इस जमावका कारण पूछा और पता लगा कि पिछले दो वर्षोंसे ये लोग प्रत्येक रविवार गांधी-दिवसके रूपमें मनाते आ रहे हैं। उस दिन ये लोग कोई काम नहीं करते। ऐसा मानते हैं कि उपस्थित जन-समुदायमें से कुछ पुरुषों या स्त्रियोंमें आपकी आत्मा आती है और वे लोग देवी-प्रेरणा प्राप्त लोग होते हैं। ये भविष्य बताते हैं और बाँझ स्त्रियोंको सन्तान होनेका आश्वासन देते हैं। मैं जानता हूँ कि इस ख़बरसे आपको तकलीफ पहुँचेगी। क्या आप इस प्रथाको रोकनेके लिए अपना कोई कार्यकर्त्ता नहीं भेज सकते? यदि आपकी पूजा करनेकी यह प्रथा अभी नहीं रोकी गई तो मैं समझता हूँ कि वह दिन दूर नहीं जब ये लोग सचमुच आपकी प्रतिमा मन्दिरमें रख देंगे और आपकी पूजा शुरू कर देंगे।"

हमारे देशमें पहले ही काफी अन्धविश्वास है। अब गांधीकी पूजाके रूपमें इसमें और कुछ जोड़ा जाये, इसे रोकनेके लिए कुछ भी उठा नहीं रखना चाहिए। व्यक्तिगत रूपसे मुझे हर प्रकारकी अन्धभक्तिसे नफरत है। मैं व्यक्ति से अलग उसके गुणोंकी पूजामें विश्वास करता हूँ और ऐसा उन गुणोंको धारण करनेवालेकी मृत्युके बाद ही सम्भव है। काया कुछ नहीं है। यह तो नाशवान् है। गुण जीवित रहते हैं और वे किसी- न-किसी व्यक्तिमें प्रकट होते हैं। बेचारे गोंड मेरे बारेमें या मेरे कार्यके बारेमें कुछ नहीं जानते। मैं जानता हूँ कि मुझमें किसीको कुछ भी दे सकने की ताकत नहीं हैं। किसी व्यक्तिमें मेरी आत्माके आनेकी कल्पना ही मेरे लिए असह्य है। इस प्रथासे हानि ही पहुँच सकती है और इससे फरेबकी गुंजाइश होती है। मैं अपने सह-कार्यकर्त्ताओंसे अनुरोध करता हूँ कि पत्र-लेखकने जिस पूजाका उल्लेख किया है उसे वे समाप्त करवायें। गोंड जैसे सीधे-सरल लोगोंको अन्धविश्वासपूर्ण कार्य करनेमें प्रोत्साहन देना पाप है।