३५. पत्र: नरसिंहराव भोलानाथ दिवेटियाको
वैशाख सुदी १३ [१७ मई, १९२४]
आपका पत्र मिला। आपको क्षोभ नहीं हुआ, यह जानकर मुझे सन्तोष हुआ है। परन्तु मैंने उसके सम्बन्धमें ‘नवजीवन' में क्षमा-याचना कर ली है। वह छप भी गई होगी।
आपका,
मोहनदास गांधी
[गुजरातीसे]
नरसिंहरावनी रोजनीशी
३६. पत्र: मणिबहन पटेलको
[१७ मई, १९२४]
अहमदाबाद पहुँचने के बाद देखेंगे कि तुम्हें दवा लेनी है या नहीं। पूरे तौरसे स्वस्थ हुए बिना वहाँसे हरगिज नहीं आना है। वसुमती बहन कदाचित् सोमवारको यहाँसे चलकर वहाँ पहुँचेगी। भाई... सूरतमें उसका घर जानते हैं। वे वहाँ जाकर उसको देख लें और यदि वह वहाँ पहुँच गई हो तो उसे लिवा ले जायें। क्या वहाँ अलग मकान मिलते हैं? मैं यथासम्भव तार दिला दूँगा। अभी तो वसुमती बहन इन्जेक्शन ले रही है। दुर्गा बहनका क्या हाल है? क्या वह मुझे पत्र लिखेगी ही नहीं? मेरा हाथ कुछ-कुछ काँपता तो जरूर है।
बापूके आशीर्वाद
आसर सेठका आरोग्य भवन
[गुजरातीसे]
बापुना पत्रो-४ मणिबहेन पटेलने
१. इस पत्रमें जिस क्षमा-याचनाका जिक्र है वह १८ मई, १९२४ के नवजीवनमें नरसिंहरावके ७ मई, १९२४ के पत्रके साथ प्रकाशित हुई थी। १९२४ में वैशाख सुदी त्रयोदशी १७ मईको पड़ी थी।
२. प्रकाशित पुस्तकके अनुसार।
३. महादेवभाईकी पत्नी।