आप विश्वास रखें कि मेरी पूरी मदद रहेगी। मैं चाहता हूँ कि आपको पूर्ण सफलता मिले।
मैं सोच भी नहीं सकता कि लोकमान्यने एक ऐसे नवयुवकको जिससे वे कभी मिले नहीं थे, जितना प्रोत्साहन दिया, उनके मर्तबेका कोई व्यक्ति उससे अधिक दे सकता है। यह मेरे जीवनकी स्मरणीय मुलाकात थी और लोकमान्यकी जो पहली छाप मुझपर पड़ी वह बादकी सभी मुलाकातोंके अवसरपर ज्योंकी-त्यों बनी रही।
अंग्रेजी पत्र (एस० एन०८८०३) की फोटो-नकलसे।
३२. पत्र: देवचन्द पारेखको
बृहस्पतिवार [१५ मई, १९२४]
आपका पत्र मिला।
मैं अपना कर्तव्य निभा चुका हूँ। अब जो हो सो हो।
मोहनदासके वन्देमातरम्
तख्तेश्वर प्लाट
गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ६००६) से।
सौजन्य: नारणदास गांधी
३३. पत्र: मणिबहन पटेलको
वैशाख सुदी १२ [१६ मई, १९२४]
तुम्हारा पत्र मिला। तुम्हारा २० तारीख तक आरोग्य भवनसे चला जाना कदापि ठीक न होगा। तुम्हें वहाँ यह मास तो पूरा करना ही चाहिए। मेरा वहाँ आना तो हो ही कसे सकता है? मुझे २९ तारीखको साबरमती जरूर पहुँचना है।
१. आत्मकथा, भाग-२, अध्याय २८ भी देखिए।
२. ढाकखानेकी मुहरके अनुसार।
३. जैसा इस पत्रमें लिखा है, गांधीजी २९ मई, १९२४ को आश्रम आये थे। १९२४ में वैशाख सुदी द्वादशी १६ मई को पड़ी थी।
४. सूरत जिलेके हजीरा नामक स्थानमें।