३०. पत्र: एमिल रोनिगरको
पोस्ट अन्धेरी
१५ मई, १९२४
आपका पत्र मिला। आपने जिन रचनाओंका उल्लेख किया है उन्हें किसीके द्वारा पुनः मुद्रित किये जाने के सम्बन्धमें मैंने सर्वाधिकार सुरक्षित नहीं रखा है। मैंने उनका प्रकाशन भी नहीं किया है। सच पूछे तो आपको अनुमतिके लिए विभिन्न प्रकाशकोंको ही लिखना चाहिए। मेरा खयाल है कि प्रकाशन-सम्बन्धी आपके प्रस्तावका कोई भी व्यक्ति विरोध न करेगा।
हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी
राइन फेल्डन
अंग्रेजी पत्र (एस० एन० ८८०२) की फोटो-नकलसे।
३१. पत्र: न० चि० केलकरको
पोस्ट अन्धेरी
१५ मई, १९२४
यह संस्मरण श्री बापटके लिए है। इच्छा और भी भेजने की थी क्योंकि मेरे पास बहुत-से संस्मरण है। किन्तु मैं आपसे और श्री बापटसे कहूँगा कि मुझपर दया करें। सचमुच में एक क्षणके लिए भी खाली नहीं रह पाता। लोकमान्यके जितने संस्मरण मेरे पास है उन्हें लिखने के लिए मुझे कोई अन्य अवसर तथा कोई और माध्यम ढूँढ़ना होगा।
१. रोनिगरने २ अप्रैलको जर्मनीसे गांधीजीको पत्र लिखा था। उसमें उन्होंने भारतके सम्बन्धमें लिखी गई एक पुस्तकके रचयिताके रूपमें अपना परिचय दिया। उस पुस्तकमें उन्होंने गांधीजोपर भी कुछ.लिखा था। रोनिगरने गांधीजीसे उनके कुछ चुने हुए लेख आदि छापनेकी अनुमति माँगी थी।
२. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक।