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२३. पत्र: देवदास गांधीको

बुधवार [१४ मई, १९२४]

चि० देवदास,

बा का हृदय विदारक पत्र आया है। मैं क्या करूँ, क्या न करूँ सूझ नहीं पड़ रहा है। यदि बच्चे वहाँ हों और तुम्हें ऐसा लगे कि उन्हें यहाँ आ ही जाना चाहिए तो उन्हें जरूर लेते आना। आशा है, तुम्हारा स्वास्थ्य अब बिलकुल ठीक हो गया होगा।

बापूके आशीर्वाद

मूल गुजराती पत्र (एस० एन० ८८१४) की फोटो-नकलसे।

२४. पत्र: प्रभाशंकर पट्टणीको

पोस्ट अन्धेरी
वैशाख सुदी १० [१४ मई, १९२४]

सुज्ञ भाईश्री,

आपका पत्र मिला। अकालियोंके सम्बन्धमें जिस तरह आप सोचते हैं, मैं उस तरह काम नहीं कर सकता। रोये बिना माँ बच्चेको दूध नहीं पिलाती, यह बात मेरे प्रत्येक कार्यके विषयमें लागू होती है। अगर ईश्वरकी इच्छा होगी तो वह मुझे इस काममें निमित्त बना लेगा। सूत्रधार तो वहीं है। मैं तो उसके हाथकी कठपुतली-मात्र हूँ।

मोहनदासके वन्देमातरम्

मूल गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ३१७८) से।

सौजन्य: महेश पट्टणी

१. यह पत्र सम्भवतः जुहूसे लिखा गया था। बा और बच्चोंके उल्लेखसे जान पड़ता है कि यह “पत्र महादेव देसाईको", १२-५-२४ के बाद कदाचित् उसी हफ्तेमें पड़नेवाले बुधवारको लिखा गया होगा।

२. वैशाख सुदी दशमी १४ मई, १९२४ को थी।