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पत्र: नरसिंहराव भोलानाथ दिवेटियाको

तार द्वारा भेजा जानेवाला प्रस्तावित उत्तर मोतीलालजीको दिखाया जाये। यदि वे इस उत्तरका अनुमोदन करें तो इसे भेज देना चाहिए।

अंग्रेजी प्रति (एस० एन० ८७९० ए) की फोटो-नकलसे।

१२. पत्र: नरसिंहराव भोलानाथ दिवेटियाको

अन्धेरी
 
वैशाख सुदी ६ [१० मई, १९२४]
 


सुज्ञ भाईश्री,

आपने ‘नवजीवन' में प्रकाशनार्थ जो पत्र भेजा था वह मुझे मिल गया है। उस पत्रसे यह झलकता है कि मैंने अपने लेखमें आपका नाम जिस तरीके से प्रयुक्त किया वह आपको पसन्द नहीं आया। मैंने तो वह वाक्य स्नेह-भावसे लिखा था। मैं आपकी और भाई खबरदारकी साहित्य-सेवा तथा पाण्डित्यको अत्यन्त आदरकी दृष्टि से देखता हूँ। फिर भी यदि आप ऐसा ही मानते हों कि मुझसे कोई थोड़ी भी त्रुटि हुई है तो क्या आप मुझे क्षमा नहीं कर देंगे? मैं आपके लेखको अवश्य प्रकाशित करूँगा।

मोहनदास गांधोके वन्देमातरम्
 

[गुजरातीसे]

नरसिंहरावनी रोजनिशी

१. मसविदेके साथ गांधीजीकी उक्त टिप्पणी भी थी।

२. श्री नरसिंहरावके जिस पत्रका यहाँ उल्लेख है वह १८-५-१९२४ के नवजीवन में प्रकाशित किया गया था। वैशाख सुदी ६,१० मईको थी।

३. देखिए खण्ड २३, पृष्ठ ५२७-५३०।