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७. पत्र: जी० ए० नटेसनको

पोस्ट अन्धेरी
८ मई, १९२४

प्रिय श्री नटेसन,

आपके हाथ को लिखावटके पुनः दर्शन हुए; आनन्द हुआ। आप जाते या लौटते हुए यहाँ अवश्य पधारें। यह तो किसी व्यक्तिने चकमा ही दिया है। भविष्यमें कुछ महीने तक मैं मद्रास न आ सकूँगा। अगर कभी आना सम्भव हुआ तो मैं यथाशक्य आपके ही पास ठहरना पसन्द करूँगा। मुझे दुःख है कि मैंने आपका भाषण नहीं पढ़ा और न आपके प्रस्तावके बारेमें ही मुझे कोई जानकारी थी।

हृदयसे आपका,
मो० क० गांधी

श्री जी० ए० नटेसन

‘इंडियन रिव्यू'

मद्रास

अंग्रेजी पत्र (जी० एन०२२३४) की फोटो-नकलसे।

८. पत्र: डाह्याभाई पटेलको

गुरुवार [८ मई, १९२४]

भाईश्री डाह्याभाई,

आपका पत्र मिला। आपके सम्मुख तो एक ही मार्ग है कि आपको जो कटु अनुभव हो रहे हैं उनके बावजूद आप अपना कार्य करते जायें। गोशालाओंके सम्बन्धमें आपके जो विचार हैं उनमें त्रुटि है। शहरोंमें गायें कौन रख सकता है? वहाँ दुबले-पतले पशुओंको कौन पालेगा? हाँ, गाँवोंमें गायें और भैंसें जरूर पाली जा सकती हैं। गोशालाएँ चलाना इसमें बाधक नहीं है।

सम्मेलनके लिए मेरा सन्देश यह है:

“सम्मेलनका उद्देश्य आजतक किये गये कार्यका लेखा-जोखा और भविष्यके लिए कार्यक्रम तैयार करना हो।

१. डाकखानेकी मुहरके अनुसार।

२. धोलका ताल्लुका सम्मेलन।