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सम्पूर्ण गांधी वाङ्मय
मैं दिल्ली जाना चाहता हूँ । परन्तु थोडी देर होगी। दिल तो चाहता है अभी चला जाऊं । परन्तु शारीरिक परिश्रम के लीये में तैयार नहि हुं ।
आपका,
मोहनदास गांधी
- मूल पत्र ( सी० डब्ल्यू० ६०१८ ) से ।
- सौजन्य : घनश्यामदास बिड़ला
२३४. तार : मुहम्मद अलीको[१]
[ २६ जुलाई, १९२४]
आपका तार मिला । आनन्दानन्द मशीनें जल्दी भिजवाने के लिए बम्बई और अहमदाबादके बीच चक्कर लगा रहे हैं ।
गांधी
- अंग्रेजी पत्र (एस० एन० ९००३) की फोटो-नकलसे ।
२३५. पत्र : मोतीलाल नेहरूको
२६ जुलाई,१९२४
प्रिय मोतीलालजी,
नीचे आपके प्रश्नोंके[३] उत्तर दे रहा हूँ :
(१) मेरे विचारसे अपरिवर्तनवादियोंको कौंसिल प्रवेश के खिलाफ सक्रिय प्रचार करने की पूरी छूट है, लेकिन राष्ट्रीय उद्देश्यकी दृष्टिसे मैं इसे सर्वथा अवांछनीय मानता है ।
- ↑ १. यह मुहम्मद अलीके २५ जुलाईके तारके उत्तर में भेजा गया था । मुहम्मद अलीका तार इस प्रकार था : “ आज सुबह पहुँचा हूँ । आपके सुझाव की प्रतीक्षा है। शीघ्र ही अपने विचार और जानकारी भेजूँगा । प्रेस मिलनेकी उम्मीद कब करूँ । इन्तजार है । "
- ↑ २. मुहम्मद अलीके नाम २७ जुलाईको भेजे पत्र में गांधीजी कहते हैं: “कल आपको मेरे दोनों तार मिल गये होंगे।" यह तार अनुमानतः उन्हींमें से एक है।
- ↑ ३. ये प्रश्न प्रारम्भमें मुहम्मद अलीसे पूछे गये थे और बादमें २५ जुलाईके पत्रके साथ (देखिए परिशिष्ट ४-क) गांधीजीको भेजे गये। गांधीजीने उस प्रश्नावलीके उत्तरोंका जो मसविदा तैयार किया, वह एस० एन० ९००२ में उपलब्ध है।