लिनारिस-नामक पानी बोतलोंमें आता है, एक-दो बोतल रोज पियो । जब प्यास लगे उसीको पियो। दवा लेना बन्द कर दो और दस्त न आता हो तो, हाजत हो चाहे न हो, पिचकारी अवश्य लो। पिचकारीका पानी गुनगुना होना चाहिए और उसमें आधा चम्मच बोरिक ऐसिड डालना चाहिए। यदि इससे पेट साफ न हो तो इसमें दूसरे दिन एक चम्मच अरंडीका तेल और तारपीनके तेलकी दस बूंदें डाल लेनी चाहिए। इस पानीमें साफ साबुन भी घोल लेना चाहिए ।
मुझे साफ मालूम होता है कि तुम्हारा शरीर दवासे सचमुच बिगड़ता ही है । इसलिए जलवायु परिवर्तन और पिचकारी, इन दोनोंसे सब कुछ ठीक हो जायेगा ।
मैंने तुम्हारे पिछले पत्र और कार्डका उत्तर उसी दिन दे दिया था । वह तुम्हें अबतक मिल गया होगा ।
बापूके आशीर्वाद
- मूल गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू ० ५४८) से ।
- सौजन्य : वसुमती पण्डित
१९५. भाषण : गुजरात कांग्रेस कमेटी में
अहमदाबाद
११ जुलाई, १९२४
. . .महात्माजीने बैठक में भाषण देते हुए श्रोताओंको १९२० में अहमदाबादमें हुए चौथे गुजरात राजनीतिक परिषद्की[२] याद दिलाई। उस समय गुजरातने कलकत्ता कांग्रेसके विशेष अधिवेशनसे भी पहले असहयोगकी सर्वप्रथम घोषणा की थी । महात्माजीने जोर देकर कहा कि उस समय मैं जैसा दृढ़ आशावादी था, देशमें प्रकट होनेवाले निराशाके लक्षणोंके बावजूद, आज भी वैसा ही आशावादी बना हुआ हूँ । गुजरातको सदा कांग्रेसके आगे रहना चाहिए। उन्होंने आगे कहा :
हमारे प्रतिनिधि अ० भा० कां० क० के आदेशके अनुसार केवल आधा घंटा चरखा चलाकर २,००० गज ही सूत न कातें, बल्कि इसके स्थानपर एक घंटा चरखा चलाकर ५,००० गज सूत कातें ताकि दूसरे प्रान्तोंको प्रोत्साहन मिल सके और उनके सम्मुख एक नजीर भी रखी जा सके। अब जोरदार तकरीरोंका समय