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सचिवको हिदायत


विश्वास व्यक्त किया है, लेकिन उनका कहना यह है कि कार्यक्रम अपने आपमें ऐसा नहीं है जो देशको उसके लक्ष्यतक पहुँचा सके। लेकिन जहाँतक विधायक संस्थाओंके बाहर रचनात्मक कार्यक्रमको कार्यान्वित करनेका सवाल है, अपरिवर्तनवादी, परिवर्तनवादी तथा दूसरे सभी लोग यदि चाहें तो आवश्यकता पड़नपर अपने-अपने संगठनोंके जरिये एक साथ होकर काम कर सकते हैं।

कांग्रेस संगठनकी रोजानाकी कार्य-निर्वहन पद्धतिपर विचार किये बिना यह वक्तव्य पूरा नहीं हो सकता। उसके बारेमें मेरे विचार बहुत मूलगामी और सुनिश्चित है। लेकिन उन्हें मैं आगे किसी अवसरपर शीघ्र ही प्रस्तुत करूँगा।

[अंग्रेजीसे]
हिन्दू, २३-५-१९२४

५७. पत्र: वसुमती पण्डितको

वैशाख वदी ५ [२३ मई, १९२४][१]


चि० वसुमती,

तुम्हारा पत्र मिला। यहाँ रुक ही गई हो तो आ जाना। लेकिन एकदम जा रही हो तो आना जरूरी नहीं। स्वास्थ्य पूरे तौरपर ठीक हो जानेपर ही देवलालीसे आनेका विचार करना।

बापूके आशीर्वाद


चि० बहन वसुमती
दौलतराय काशीराम ऐण्ड कम्पनी
रावल बिल्डिग
लैमिंग्टन रोड, बम्बई

मूल गुजराती पत्र (सी० डब्ल्यू० ४४२) से।
सौजन्य : वसुमती पण्डित

५८. सचिवको हिदायत

[२३ मई, १९२४ या उसके पश्चात्][२]

तार कर दो कि कदापि नहीं।
अंग्रेजी प्रति (एस० एन० १०३२८) की फोटो-नकलसे।

“यदि माँ मान जाये तो क्या आप मुझ नावालिगको तारकेश्वर सत्याग्रहमें शामिल होनेकी मंजूरी

देदेंगे।”

 
  1. वैशाख बदी ५, २३-५-१९२४ को पड़ी थी। डाकखानेकी मुहर २४-५-१९२४ तारीखकी है।
  2. यह हिदायत २३ मई, १९२४ को मिले दीपक चौधरीके निम्न बारेमें थीं।