पृष्ठ:सम्पूर्ण गाँधी वांग्मय Sampurna Gandhi, vol. 24.pdf/११५

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
८५
कुछ मुसीबतें


फँस जाये। मैं तो उम्मीद रखता हूँ कि मैंने जो सुझाव दिया है, उसपर कोई कुशल बुनकर स्थान चुनकर प्रयोग करके देखे। सम्भव है कि उसके अनुभवसे मेरी कल्पनाकी पुष्टि न हो तथापि इससे उसे कुछ नुकसान नहीं होगा। मैं सौ-दो सौ रुपये कमानेवाले मनुष्यको ऐसा प्रयोग करनेके लिए आमन्त्रित नहीं करता; लेकिन जो घरमें बेकार बैठे हैं अथवा प्रतिकूल वातावरणमें तीस रुपये की क्लर्की कर रहे हैं, मैं ऐसे लोगोंको अवश्य प्रलोभित करना चाहता हूँ। मेरी शर्त इतनी ही है कि जो यह प्रयोग करे उसका स्वास्थ्य सामान्यतया ठीक होना चाहिए। वह कामसे कतराता न हो और हररोज कमसे-कम आठ घंटे मेहनत करने के लिए तैयार हो। यदि वह गृहस्थ हो तो ज्यादा अच्छा है। यदि वह अकेला हो परन्तु कार्यकुशल हो तो भी वह अवश्य ही तीस रुपये माहवार कमा लेगा। परन्तु मान लीजिए कि उसे यहाँतक पहुँचनेमें देर लगती है तो भी क्या हुआ? उसे फिर भी ऐसी निराशा तो अवश्य ही नहीं होनी चाहिए, कि मानो वह किसी गड्ढे में गिर गया है।

इस विषयमें यदि किसीके पास कोई अनुभव है, भले ही वह मेरे अनुभवसे मेल न खाता हो, फिर भी यदि वह उसे लिख भेजेगा तो मैं उसका आभार मानूँगा। मैं समय मिलनेपर उसका उपयोग भी ‘नवजीवन' में करूँगा।

[गुजरातीसे]

नवजीवन, १८-५-१९२४

४२. कुछ मुसीबतें

एक स्वयंसेवकने मुझे एक गम्भीर-सा पत्र लिखा है। उसने इसमें अनेक प्रश्नोंपर अपने विचार व्यक्त किये हैं। यहाँ मैं सिर्फ उन्हीं अनुच्छेदोंको दे रहा हूँ जिनपर मैं इस समय अपनी राय दे सकता हूँ।

भाग्यवशात् मैं किसीको अपना अनुयायी मानता ही नहीं। इस कारण मैं किसीके पापमें हिस्सेदार नहीं कहला सकता। परन्तु इतने से उक्त लेखककी परेशानी दूर नहीं होती और मेरा उत्तरदायित्व समाप्त नहीं होता। चारों-ओरसे मेरे अनुयायी कहे जाने वाले लोगोंकी शिकायतें आ रही हैं। मैं इसका उपाय सोच रहा हूँ। दुखियोंका सहायक ईश्वर है। अपने इस विश्वासके कारण मुझे आशा बँधती है कि वह मुझे ऐसा उपाय सुझा देगा जिससे इन नामधारी अनुयायियोंका धन्धा बन्द हो जाये। ढोंग हमेशा नहीं चल सकता। कुछ लोग कुछ समय तक भले ही ठगे जा सकते हों, परन्तु सब लोग सदा ठगे जाते रहे हों, इसकी मिसाल इतिहासमें नहीं मिलती।

यह बात भी ठीक है कि कांग्रेसके संविधानपर चुस्तीके साथ अमल नहीं किया जा रहा है। यह धारणा कि सर्वथा दोषरहित संविधान भी अयोग्य मनुष्योंके हाथोंमें

१. यहाँ नहीं दिया गया है।